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आध्यात्म

श्रीकृष्‍ण का कोई एक रूप निर्धारित ही नहीं है

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kripalu ji maharaj

अर्थात् गुरु कोई पृथक् तत्‍व नहीं है, वह मैं ही हूँ। इन सब में कहीं भी दुर्भावना होने पर अक्षम्‍य नामापराध हो जायगा। वैसे तो निन्‍दनीय पापात्‍मा पर भी दुर्भावना नहीं करनी है क्‍योंकि उसमें भी मेरे श्रीकृष्‍ण बैठे हैं। फिर जिस मन को शुद्ध हरि एवं गुरु चिंतन से शुद्ध करना है उसी मन से पापात्‍मा के पाप का चिंतन तो मन को और अशुद्ध कर देगा। हाँ-यह अवश्‍य है कि ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिये। सब को देखते हुए भी सबको नहीं देखना है। वरन् सब में बैठे अपने इष्‍ट को देखना है। एक बात प्रमुख रूप से गाँठ बांध लेने की है। वह यह कि भक्ति केवल श्‍यामा श्‍याम की सेवा के लिये ही सदा रहे। उनके सुख में सुखी रहने के लक्ष्‍य से ही युक्‍त रहे। अपने सुख की कामना की गंध भी न आने पाये। यह निरन्‍तर अभ्‍यास करना है। यथा- नारद जी

’तत्‍सुख सुखित्‍वम्‘। (ना. भ. सू. 24)

अहैतुक्‍यप्रतिहता ययाऽऽत्‍मा सम्‍प्रसीदति। (भाग. 1-2-6)

गुणरहितं कामनारहितं प्रतिक्षणवर्द्धमानं अविच्छिन्‍नं सूक्ष्‍मतरं अनुभवरूपम्।

(ना. भ. सू.– 54)

मैंने रूपध्‍यान पर विशेष ध्‍यान दिलाया है। क्‍योंकि हम जिसकी भक्ति करने जा रहे हैं, जब उसी को मन में नहीं लायेंगे तो वह उसकी भक्ति ही न रहेगी। फिर वह इन्द्रियों की भक्ति मानी जायगी एवं उस समय जहाँ मन रहेगा, उसी का फल मिलेगा। रूपध्‍यान की बात आते ही प्रायः यह प्रश्‍न आता है, कि श्रीकृष्‍ण को तो देखा ही नहीं, फिर हम ध्‍यान कैसे करें? प्रथम तो यह समझ लीजिये कि यदि उनको दिखा भी दिया जाय तो प्राकृत इंद्रियों से श्रीकृष्‍ण भी प्राकृत ही दिखाई पड़ेंगे।

दूसरी बात यह है कि देखी हुई वस्‍तु का ध्‍यान कठिन है। जैसे तुमने किसी व्‍यक्ति को 10 बार देखा है फिर भी ठीक वैसा ही रूप आप नहीं बना सकते। ठीक वैसी ही आँख, कान की आकृति बनाने में हार माननी पड़ेंगी किंतु श्रीकृष्‍ण की बिना देखी आकृति बनाना अत्‍यन्‍त सरल है। इसका कारण यह है कि श्रीकृष्‍ण का कोई एक रूप निर्धारित ही नहीं है। आपको जैसा रूप संसार में प्रिय लगे, वैसा ही बना लीजिये। श्रीकृष्‍ण इतने कृपालु हैं कि वे आपके बनाये हुये रूप को ही रूपध्‍यान मानकर फल दे देते हैं। अन्‍यथा तो किसी मायाबद्ध जीव को कभी भगवत्‍प्राप्ति ही न हो। क्‍योंकि पहले दिव्‍य दृष्टि तो मिलेगी नहीं। फिर वह रूपध्‍यान कैसे करेगा।

आध्यात्म

नौकरी में चाहिए प्रमोशन तो अपनाएं ज्योतिष के ये उपाय

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नई दिल्ली। अगर आप पिछले काफी समय नौकरी कर रहे हैं और आपका प्रमोशन नहीं हो रहा है। या फिर आपकी बॉस से नहीं बन रही है तो ये कुछ सरल उपाय करके आप सफलता पा सकते हैं।

. शनिवार की सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निवृत्त होकर घर में किसी पवित्र स्थान पर पूजन का विशेष प्रबंध करें या किसी मंदिर में जाएं। शनिवार शनि की पूजा का विशेष दिन माना जाता है। शनि हमारे कर्मों का फल देने वाले देवता हैं। अत: इसी दिन शनि देव का विधिवत पूजन करनी चाहिए।

. तरक्की के लिए सूर्य देवता को मनाना काफी शुभ बताया जाता है। जो लोग आसानी से तरक्की करते हैं उनका सूर्य काफी मजबूत होता है। प्रतिदिन सुबह सूर्य को पानी अर्पित करें और सूर्य नमस्कार करें। सूर्य देवता को जल अर्पित करने वाला बर्तन तांबे का हो और उसमें थोड़ा गंगाजल डालें। जल अर्पित करने के बाद सूर्य देवता से अपनी इच्छा रोज जाहिर किया करें।

. यदि नौकरी-पेशा करने वाले जातकों को प्रमोशन नहीं मिल रहा है अथवा उनकी तनख्वाह में वृद्धि नहीं हो रही है तो उन्हें मंगलवार के दिन हनुमान जी की आराधना करना चाहिए।

. प्रतिदिन पक्षियों को मिश्रित अनाज खिलाना चाहिए। सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। इसमें गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें शामिल की जा सकती हैं। प्रतिदिन सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी।

. रात को सोते समय एक तांबे के बर्तन में पान भरकर अपने बिस्तर के नीचे रखें और सुबह उठते ही, बिना किसी को बोले, यह जल घर के बाहर फेंक दें।

. भगवान विष्णु की आराधना करने से भक्तों की मन की मुराद पूरी होती है इसलिए नौकरी में प्रमोशन पाने के इच्छुक जातकों को भगवान विष्णु जी की आराधना करनी चाहिए।

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