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छात्र ने आत्महत्या की, केंद्रीय मंत्री और कुलपति पर मामला दर्ज
हैदराबाद| पुलिस ने हैदराबाद विश्वविद्यालय के एक दलित शोध छात्र की आत्महत्या के मामले में केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय और विश्वविद्यालय के कुलपति अप्पा राव समेत कुल चार लोगों पर मामला दर्ज किया है। इन सभी पर छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाने और अनुसूचित जाति-जनजाति (उत्पीड़न निवारण) अधिनियम के उल्लंघन का आरोप है। केंद्रीय मंत्री और कुलपति के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नेताओं -सुशील कुमार और विष्णु- के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। मामला साइबराबाद पुलिस कमिश्नरी क्षेत्र के गचिबावली थाने में दर्ज किया गया है। गचिबावली थाने के पुलिस अफसर जे.रमेश कुमार ने कहा कि प्रशांत नामक छात्र की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है। इस सवाल पर कि क्या कार्रवाई की जाएगी, रमेश ने कहा, “एक जांच अधिकारी जांच करेगा।”
शिकायत में कहा गया है कि आत्महत्या के लिए दत्तात्रेय जिम्मेदार हैं, क्योंकि उन्होंने ही केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को वह पत्र लिखा था जो दलित छात्रों के निलंबन की वजह बना था। केंद्रीय श्रम राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दत्तात्रेय ने परिसर में मौजूद ‘राष्ट्रविरोधी’ और ‘समाज विरोधी’ तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और समाज अध्ययन विभाग के द्वितीय वर्ष के शोध छात्र रोहित वेमुला को रविवार रात शोध छात्रों के छात्रावास में अपने कमरे में छत से लटकता पाया गया था। रोहित की खुदकुशी के बाद से विश्वविद्यालय में तनाव है। विश्वविद्यालय के छात्र घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। वे छात्र द्वारा उठाए गए इस जानलेवा कदम के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन और भाजपा नेता बंडारू दत्तात्रेय को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
उनका आरोप है कि पिछले साल अगस्त में एबीवीपी कार्यकर्ताओं से झड़प के कारण अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एएसए) से संबद्ध पांच दलित छात्रों को निलंबित कर छात्रावास से निकाला गया था। प्रदर्शनकारी छात्रों ने पोस्टमार्टम के लिए रोहित का शव लेने पहुंची पुलिस को भी रोकने का प्रयास किया। वे ‘पुलिस लौट जाओ’ के नारे लगा रहे थे। उन्होंने शव को कमरे में बंद कर दिया। हालांकि, पुलिस वहां तक पहुंचने में कामयाब रही और शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल पहुंचाया गया। छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए विश्वविद्यालय परिसर में हिंसक घटना को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई है। विश्वविद्यालय के दलित, वामपंथी छात्र संगठनों ने बंद का आह्वान किया है।
विभिन्न छात्र समूहों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) ने कहा कि वेमुला निलंबन और निष्कासन के कारण काफी निराश था। उसने एएसए के नीले रंग के बैनर का इस्तेमाल खुदकुशी के फंदे के लिए किया। उसके कमरे से पांच पन्नों का एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें उसने लिखा है कि कैसे वह हमेशा सितारों को देखता था और एक दिन लेखक तथा प्रतिष्ठित शिक्षक बनने का सपना देखता था। आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले से संबंध रखने वाले वेमुला को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जेआरएफ) भी प्राप्त हुआ था। लेकिन, अपने सुसाइड नोट में उसने लिखा है कि पिछले छह महीने से उसे जेआरएफ फंड भी नहीं मिला।
वेमुला अपने साथ निष्कासित हुए चार अन्य छात्रों के साथ पिछले 15 दिनों से विश्वविद्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन कर रहा था। छात्रावास से निष्कासन के विरोध में वे खुले में सो रहे थे। इन पांचों छात्रों को पिछले साल अगस्त में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से झड़प के बाद निलंबित कर दिया गया था। यह मामला दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘मुजफ्फरनगर बाकी है’ वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग पर एबीवीपी के हमले के बाद शुरू हुआ। एएसए ने एबीवीपी के इस कदम की निंदा करते हुए इसके विरोध में परिसर में प्रदर्शन किया था। इन शोधार्थियों को उनके छात्रावास से दिसंबर में निष्कासित कर दिया गया था। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में स्थित छात्रावासों और अन्य इमारतों में जाने से रोक दिया गया था। उन्हें सिर्फ अपने विषय से संबंधित कक्षा, पुस्तकालय, सम्मेलनों और कार्यशालाओं में जाने की अनुमति थी। उन्हें उनके कमरों से जनवरी में निकाल दिया गया था, जिसके बाद वे विश्वविद्यालय परिसर में ही बने शिविर में सोने के लिए मजबूर थे।
नेशनल
दिल्ली के स्कूलों की जांच में कुछ नहीं मिला, पुलिस बोली- ई-मेल्स और कॉल्स फर्जी
नई दिल्ली। दिल्ली के स्कूलों में बम होने के धमकी भरे ईमेल के बाद जांच की गई तो वहां कुछ नहीं मिला। पुलिस अधिकारियों ने भी इसे होक्स ईमेल बताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि चेकिंग जारी रहेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह फर्जी कॉल है। दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां प्रोटोकॉल के मुताबिक जरूरी कदम उठा रही हैं।
वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल मिले। दिल्ली पुलिस ने प्रोटोकॉल के तहत ऐसे सभी स्कूलों की गहन जांच की। कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिल। ऐसा प्रतीत होता है कि ये कॉल्स फर्जी हैं। हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे घबराएं नहीं और शांति बनाए रखें।
स्कूल में आए इस धमकी भरे ईमेल के बाद कई स्कूलों ने बच्चों की जल्द छुट्टी का मैसेज पेरेंट्स को भेज दिया, तो कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल जाकर पहले ही ले आए। इसके अलावा कई स्कूल के प्रिंसिपल ने पेरेंट्स को मैसेज भेज कर कहा कि घबराने की बात नहीं है।
नोएडा में इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल (आईपीजीएस) की प्रिंसिपल निकिता तोमर मान ने बताया, “मैं लोगों से आग्रह करूंगी कि वे अनावश्यक घबराहट पैदा न करें और इस स्थिति को एक परिपक्व वयस्क के रूप में लें। दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों को धमकियां मिलीं, उन्हें खाली करा लिया गया है और हमारे सहित बाकी स्कूल सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। कोई धमकी भरा संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।”
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