मुख्य समाचार
बॉलीवुड के दिग्गज गायक को गूगल-डूडल ने दी श्रद्धांजलि
मुंबई| सर्च इंजन गूगल ने शुक्रवार को डूडल के जरिए बॉलीवुड के दिग्गज पाश्र्व गायक दिवंगत मुकेश को उनकी 93वीं जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। ‘राज कपूर की आवाज’ के नाम से लेकप्रिय मुकेश चंद माथुर का जन्म 22 जुलाई, 1923 को दिल्ली में हुआ था और लगभग चार दशक के अपने लंबे करियर में वह संगीत की समृद्ध विरासत छोड़ गए।
गूगल ने अपने डूडल पर दिवंगत निर्देशक यश चोपड़ा की सबसे लोकप्रिय रोमांटिक फिल्म ‘कभी-कभी’ के एक दृश्य को कार्टून के रूप में दर्शाकर मुकेश को मुस्कराते चेहरे के साथ दिखाया है।
इसमें मुकेश के हाथों में एक माइक्रोफोन भी नजर आ रहा है।
मुकेश के एक दूर के रिश्तेदार और बॉलीवुड के जाने-माने चरित्र अभिनेता रहे मोतीलाल ने गायक के हुनर को पहचाना था।
मुकेश ने उनकी बहन की शादी पर एक गीत गाया था, जिसके बाद वह गायक को लेकर मुंबई आ गए।
इसके बाद मोतीलाल ने मुकेश को पंडित जगन्नाथ प्रसाद से संगीत में प्रशिक्षण दिलाया।
मुकेश को 1945 में आई फिल्म ‘पहली नजर’ में मोतीलाल की आवाज बनने का मौका मिला और उनका पहली हिंदी गीत था ‘दिल जलता है, तो जलने दे’।
मुकेश दिग्गज गायक के.एल. सहगल के काफी बड़े प्रशंसक थे और करियर के शुरुआती दिनों में उनके द्वारा गाए गीतों में सहगल के अंदाज की झलक नजर आती थी।
प्रतिष्ठित संगीतकार नौशाद अली ने तब मुकेश को सहगल की छाया से बाहर निकलने में तथा उन्हें अपनी एक अलग पहचान बनाने में मदद दी।
कुछ समय बाद दिग्गज पाश्र्व गायक अपनी अनूठी और सुरीली आवाज के दम पर बॉलीवुड के प्रतिष्ठित दिग्गज गायकों मोहम्मद रफी और किशोर कुमार की सूची में शुमार हो गए।
पाश्र्व गायकों की इस तिकड़ी ने फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’ में गायिका लता मंगेशकर के साथ ‘हमको तुमसे हो गया है प्यार क्या करें’ गीत गाया।
अपने लंबे संगीत करियर में मुकेश ने कई लोकप्रिय और यादगार गीत गाए, जिनमें ‘चंदन सा बदन (सरस्वतीचंद्र)’, ‘चल री सजनी, अब क्या रोके (बम्बई का बाबू)’, ‘कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है और मैं पल दो पल का शायर हूं (कभी-कभी)’, ‘क्या खूब लगती हो, बड़ी सुंदर दिखती हो (धर्मात्मा)’, ‘सब कुछ सीखा हमने, न सीखी होशियारी (अनाड़ी)’, ‘सावन का महीना, पवन करे शोर (मिलन)’ और ‘होटों पे सच्चाई रहती है (जिस देश में गंगा बहती है) आदि हैं।
मुकेश को रजनीगंधा फिल्म में गाए गाने ‘कई बार यूं ही देखा है’ के लिए 1974 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में सर्वश्रेष्ठ पाश्र्व गायक के खिताब से भी नवाजा गया था।
अमेरिका में एक स्टेज शो के दौरान दिल का दौरा पड़ने से 27 अगस्त, 1976 को मुकेश का निधन हो गया। वह 53 साल के थे।
नेशनल
जेपी नड्डा का ममता पर हमला, कहा- संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा
नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तगड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है। जेपी नड्डा ने कहा कि संदेशखाली, ममता बनर्जी की निर्ममता और बर्बरता का संदेश चीख-चीख कर दे रहा है। ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है? जहां रवींद्र संगीत गूंजना चाहिए था, वहां बम-पिस्तौल मिल रहे हैं।
संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। इसी से समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने किस तरह अराजकता फैला रखी है। मैं बंगाल के सभी भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता से अपील करता हूं कि आप सभी संदेशखाली पर ममता बनर्जी से जवाब मांगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने संदेशखाली की पीड़िता को पार्टी का टिकट देकर भाजपा महिला सशक्तिकरण के संदेश को मजबूती दी है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को जवाब दिया है कि ये महिलाएं अकेली नहीं है उनके साथ पूरा समाज, पूरा देश खड़ा है। संदेशखाली में महिलाओं की इज्जत-आबरू और उनकी जमीनें बचाने के लिए वहां गई जांच एजेंसियों के अधिकारियों पर भी घातक हमला किया गया।
जेपी नड्डा ने आगे कहा, “मैं आज समाचार पढ़ रहा था कि संदेशखाली में तलाशी के दौरान सीबीआई ने तीन विदेशी रिवॉल्वर, पुलिस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक रिवॉल्वर, बंदूकें, कई गोलियां और कारतूस बरामद किए हैं।” इसी से समझा जा सकता है कि ममता सरकार ने राज्य में किस तरह अराजकता फैला रखी है। उन्होंने पूछा कि क्या ममता बनर्जी जनता को डराकर, उनकी जान लेकर चुनाव जीतेंगी। क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवीन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो जैसे मनीषियों ने ऐसे बंगाल की कल्पना की थी।
संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। ममता दीदी, यदि आपको ऐसा लगता है कि आप ऐसा करके चुनाव जीत जाएंगी तो ये आपकी भूल है। जनता आपको इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि हमने देखा कि ममता सरकार में तृणमूल कांग्रेस के शाहजहां शेख जैसे असामाजिक तत्व संदेशखाली में महिलाओं के अस्तित्व पर खतरा बने हुए हैं। महिलाओं के साथ जिस तरह का सलूक हो रहा है वह सच में बहुत ही संवेदनशील और कष्टदायी है।
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