आध्यात्म
पटना में दिखी एकता की मिसाल, अज़ान के वक़्त हनुमान मंदिर ने बंद किया लाउडस्पीकर
बिहार की राजधानी पटना में आपसी सौहार्द और भाईचारे का एक उदाहरण देखने को मिला। रविवार को पटना के हनुमान मंदिर ने अजान के दौरान अपने लाउडस्पीकर बंद दिए। मस्जिद और मंदिर के बीच की दूरी 50 मीटर है। वहीं एक-दूसरे के प्रति सम्मान दर्शाते हुए मस्जिद ने मंदिर में आने वाले भक्तों का ख्याल रखा। यह नजारा ऐसे समय पर देखने को मिला है जब सूबे में लाउडस्पीकर को लेकर चर्चा जोरो पर है।
Bihar | A temple situated 50-meters apart from a mosque in Patna turns off its loudspeakers during Azaan while the mosque takes care of temple devotees as a mark of reverence towards each other pic.twitter.com/56OFaTuiFL
— ANI (@ANI) May 1, 2022
बीजेपी बिहार में यूपी की तरह लाउडस्पीकर हटाने की मांग कर रही है। नीतीश सरकार में मंत्री जनक राम ने मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने मस्जिद से लाउडस्पीकर के जरिए आने वाली तेज अजान पर रोक लगाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि जब होली, दिवाली पर डीजे और तेज गति वाले वाहन पर रोक लग सकती है तो मस्जिदों के लाउडस्पीकर से तेज आवाज में आने वाली अजान पर भी रोक लगाई जानी चाहिए। मंत्री का कहना था कि जनप्रतिनिधि होने के नाते मुझे इसकी शिकायत मिलती रहती है।
हालांकि सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राय इससे बिलकुल उलट है। उनका कहना है कि हमारे विचार से सभी वाकिफ हैं। हम कभी किसी भी धर्म में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करते हैं। इससे पहले उन्होंने लाउडस्पीकर हटाने की बात को फालतू बताया था। उन्होंने कहा था कि बिहार में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर को हटाए जाने की बात का कोई मतलब नहीं है। सभी को अपना धर्म मानने का पूरा अधिकार है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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