Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

खुल गए बाबा केदारनाथ धाम के कपाट, दस हजार से अधिक भक्त रहे मौजूद

Published

on

Doors of Kedarnath Dham opened

Loading

रुद्रप्रयाग। विश्व प्रसिद्ध बाबा केदारनाथ धाम के कपाट आगामी छह महीने के लिए भक्तों के दर्शनार्थ आज खोल दिए गए हैं। इस अवसर पर दस हजार से अधिक भक्त मौजूद थे। मौसम खराब होने की वजह से सीएम पुष्कर सिंह धामी वहां नहीं पहुंच सके।

सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर खुले कपाट

पौराणिक परंपरा के अनुसार आज मंगलवार सुबह 6:15 मिनट पर मंदिर के मुख्य कपाट खोल दिए गए। इससे पूर्व सुबह तड़के केदार बाबा की पंचमुखी मूर्ति का श्रंगार किया गया, भोग लगाया गया व पूजा अर्चना की गई।

इसके पश्चात पंचमुखी डोली को मंदिर परिसर में लाया गया, सील बंद कपाट को प्रशासन मंदिर समिति की मौजूदगी में खोल दिया गया और भोले बाबा अपने धाम में विराजमान हो गए। कपाट खुलते ही केदारनाथ धाम भोले बाबा के जयकारों से गूंज उठा। इस अवसर पर केदारनाथ धाम में बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे।

27 अप्रैल को खुलेंगे बदरीनाथ धाम के कपाट

उधर, बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को सुबह 6:10 बजे खोले जाएंगे। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित और पुलिस अधीक्षक डा. विशाखा अशोक भदाणे धाम में कैंप किए हुए हैं। मौसम के मिजाज के चलते केदारनाथ यात्रा में चुनौतियां कम नहीं हैं।

आज शुरू हो जाएगी हेली सेवा

कपाट खुलने के साथ ही आज सुबह से ही केदारनाथ के लिए हेलीकाप्टर सेवा शुरू हो गई। नौ एविएशन कंपनी केदारघाटी में जाखधार, शेरसी, फाटा, नारायणकोटि, जामू और सोनप्रयाग से हेली सेवा का संचालन करेंगी। सोमवार को विभिन्न हेलीपैड से धाम के लिए ट्रायल उड़ान भरी गईं।

यात्रियों की मुश्किलें आसान करेगा SDRF

केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) ने यात्रियों की सहायता के लिए पांच पड़ाव बनाए हैं। ये पड़ाव केदारनाथ, लिनचौली, सोनप्रयाग, अगस्त्यमुनि और रतूड़ा में बनाए गए हैं। हर पड़ाव में दो-दो दल तैनात किए गए हैं। ये दल एक पड़ाव से दूसरे पड़ाव के बीच गश्त भी करेंगे।

विशेष रूप से सोनप्रयाग, लिनचौली व केदारनाथ पैदल मार्ग के बीच ये यात्रियों की सहायता को विशेष रूप से सक्रिय रहेंगे। इन दलों को बर्फ हटाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्नो रिमूवर समेत आधुनिक उपकरण दिए गए हैं। प्राथमिक उपचार के लिए पड़ाव स्थलों पर दवाओं की व्यवस्था भी की गई है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

Continue Reading

Trending