आध्यात्म
देव दीपावली वाराणसी 2023: लेजर शो के जरिये होगी शिव स्तुति,11 लाख दीप किए जाएंगे प्रज्ज्वलित
वाराणसी। शिव की नगरी वाराणसी में देव दीपावली महोत्सव 2023 के आयोजन को सफलता पूर्वक संपन्न कराने के लिए जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल को नोडल अधिकारी नामित किया है।
यह निर्णय मंगलवार को मंडलायुक्त सभागार में गंगा महोत्सव और देव दीपावली के आयोजन की तैयारियों के लिए हुई बैठक में लिया गया। देव दीपावली के आयोजन को भव्य बनाने के लिए 100 से ज्यादा समितियां घाटों को दीपों से रोशन करेंगी। वहीं, गंगा पार इलाके को 20 सेक्टर में बांटकर दीपदान कराया जाएगा।
जिलाधिकारी के मुताबिक काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार पर लेजर शो के जरिये शिव स्तुति की जाएगी। पर्यटन विभाग को आतिशबाजी का जिम्मा सौंपा गया है। उन्होंने घाट पर स्थित डोम राजा के आवास, नेपाली मंदिर, पंचगंगा घाट और अन्य कई चिह्नित स्थानों के संकरे मार्ग को एक घाट से दूसरे घाट पर जाने के लिए चौड़ा करने के निर्देश नगर निगम को दिए।
गंगा महोत्सव के आयोजन 23 से 26 नवंबर तक राजघाट पर होंगे। इसमें प्रतिदिन आमंत्रित व स्थानीय कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति होगी। गंगा महोत्सव के अंतिम दिन यानी 27 नवंबर को विश्वप्रसिद्ध देव दीपावली मनाई जाएगी।
घाटों पर सफाई व्यवस्था, चिकित्सा टीमों की तैनाती, अग्निशमन की व्यवस्था, सुरक्षा एवं सुगम यातायात व्यवस्था विभागों ने तैयारी बताई। पर्यटन अधिकारी ने बताया कि इस बार लगभग 11 लाख दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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