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आध्यात्म

राम नगरी अयोध्या में आयोजित होगा दीपोत्सव, जलाए जाएंगे 9 लाख दीप

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राम नगरी अयोध्या में इस बार बेहद खास स्वरूप में दीपोत्सव का आयोजन किया जाएगा। आयोजन 1 नवंबर से 6 नवंबर तक होगा, जिसमें राम की पैड़ी पर 9 लाख दीप जलाए जाएंगे। तो वही राम कथा पार्क पर भगवान श्री राम के आगमन और उनके राज्याभिषेक के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी किया जाएगा। इन सब कार्यक्रम के पूर्व अयोध्या के साकेत महाविद्यालय से श्री राम शोभा यात्रा भी निकाली जाएगी। जिसको लेकर अयोध्या के सरयू तट से लेकर मठ मंदिरों तक के रास्तों को संवारने का कार्य किया जा रहा है।

जलाए जाएंगे 9 लाख दीप

अयोध्या में 30 आकर्षक गेट बनाए जाएंगे। तो वही राम की पैड़ी पर लेजर शो व प्रदूषण मुक्त आतिशबाजी का भी आयोजन किया जाएगा।
अयोध्या में इस बार दीपोत्सव कार्यक्रम 1 नवम्बर से शुरू हो जायेगा। 2 नवम्बर को रिर्हसल एवं टूर एण्ड टैवेल्स के कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। तो वहीं 3 नवम्बर को सुबह सबसे पहले श्रीराम शोभायात्रा के रूप में अयोध्या के साकेत महाविद्यालय से राम कथा पार्क तक रामायण के प्रसंगों पर तैयार 11 झांकियों को निकाला जाएगा। वहीं राम की पैड़ी पर लेजर शो सहित होलोग्राफी, प्रोजेक्शन मैपिंग तथा इलेक्ट्रानिक आतिशबाजी भी  किया जायेगी।

एलईडी वैन और स्क्रीन के ज़रिये शहर भर में होगा प्रसारण

बता दें कि 70 प्रमुख स्थानों पर एलईडी डिस्प्ले बोर्ड, एलईडी वैन के द्वारा इस प्रकरण का लाइव टेलीकास्ट पूरे शहर में अलग अलग स्थानों पर दिखाया जाएगा। तो वहीं रामकथा पार्क पर भगवान के पुष्पक विमान से आगमन के बाद स्वागत राज तिलक किए जाने के दौरान हेलीकाप्टर द्वारा आकाश से पुष्प वर्षा की जाएगी जिसके बाद विदेशी रामलीला का आयोजन किया जाएगा।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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