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नवरात्रि में कोरोना वायरस से बच सकते हैं भारत के लोग, जानें वैज्ञानिक कारण

कोरोना वायरस पूरी दुनिया में तेजी से लोगों को अपना निशाना बना रहा है। भारत में भी यह जानलेवा वायरस तेजी से अपने पांव पसार रहा है। इस बीच भारत में नवरात्र शुरू हो चुके हैं। नवरात्रि हमें कोरोना से काफी हद तक दूर रख सकती है। आईए जानते हैं इसके वैज्ञानिक कारण…
नौ दिन के ये उपवास हमारी स्वास्थ्य प्रक्रिया के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं। इस दौरान ग्लूटेन फ्री होने के कारण हमारी पाचन क्रिया बेहतर होती है और शरीर अधिक कुशलता से कार्य करता है। साथ ही ज्यादा मसालेदार और फास्ट फूड से दूर रहने की वजह से भी इम्यून अच्छा रहता है।
नवरात्रि के व्रत के दौरान कुछ चीजों का सेवन कर हम अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं जिससे कोरोना को लड़ने में काफी मदद मिल सकती है। आइए जानते हैं कौन ही हैं वो चीजें…
- नवरात्र के दौरान सात्विक भोजन किया जाता है। इस दौरान हरी सब्जियों और फलों का खूब सेवन करें। ये न सिर्फ आपकी बॉडी को फाइबर देंगे, बल्कि उसे हाइड्रेट रखने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को भी दुरुस्त करेंगे।
- 5 बादाम, 1 अखरोट, 5 किशमिश रोजाना रात को भिगोकर रख दें और सुबह पूजा करने के बाद एक कप चाय या निवाय पानी के साथ इसे लें। ये आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में काफी मददगार होगा।
- सुबह ब्रेकफास्ट के दौरान 1 कप दूध के साथ बिना नमक का रोस्टेड मखाना डाइट में शामिल करना न भूलें। ये भूख को कंट्रोल करने के साथ-साथ इम्यून के लिए भी अच्छा माना जाता है।
- एक कप दूध में केला या सेब मिलाकर उसका मिल्क शेक बना लीजिए। बॉडी के लिए ये काफी अच्छा होता है। आप केले या सेब की जगह चीकू भी शामिल कर सकते हैं।
- ककड़ी, मूली, खीरा या तरबूज जैसी चीजों को डाइट में शामिल करें। ये सभी चीजें शरीर में पानी की कमी को दूर कर इम्यूनिटी को बेहतर बनाने में काफी मददगार हैं।
- दोपहर के वक्त आप भुनी मूंगफली के साथ नारियल पानी का सेवन करेंगे तो यकीन मानिए, इससे कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलेगी. इसके अलावा आप जूस या नींबू पानी भी ले सकते हैं।
- चटपटा खाने वाले लोगों को नवरात्र का खाना फीका लगता है ऐसे में लंच या डिनर में पुदीने की चटनी शामिल करें। यह खाने के स्वाद को तो बढ़ाएगा ही साथ ही अपना इम्यून सिस्टम भी ठीक करेगा।
- अपने लंच और डिनर में आपको एक कटोरी दही भी जरूर शामिल करनी चाहिए। ये न सिर्फ आपके हाजमे के लिए अच्छी है बल्कि इम्यून को भी बेहतर करने में कारगर है।
- शाम को खाने में साबुदाने की खिचड़ी या खीर का सेवन कीजिए। अस्पताल में भी डॉक्टर्स रोगियों को खाने में साबुदाने से बनी चीजें की सलाह देते हैं।
- डिनर से पहले या बाद में हरी सब्जियों का सूप पीने की आदत डाल लीजिए। ऐसे में कद्दू का सूप सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है।
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भारत का एक ऐसा मंदिर जहां तेल नहीं पानी से जलता है दीपक

भोपाल। भारत में कई ऐसे धार्मिक स्थान हैं जहां के चमत्कार के बारे में जानकर लोगों में भगवान के प्रति आस्था और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के चमत्कार के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। आपको जानकर हैरानी होगी कि मध्य प्रदेश शाजापुर जिले के गड़ियाघाट वाली माता के मंदिर में दीपक तेल से नहीं बल्कि पानी से जलता है।
माताजी का यह मंदिर कालीसिंध नदी के किनारे आगर-मालवा के नलखेड़ा गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर गाड़िया गांव के पास स्थित है।
मीडिया रिपोर्ट्स इस मंदिर में पिछले पांच साल से एक महाजोत (दीपक) लगातार जलती आ रही है। हालांकि देश में ऐसे अनेक मंदिर हैं, जहां इससे भी लम्बे समय से दीये जलते आ रहे हैं, लेकिन यहां के महाजोत की बात सबसे अलग है।
मंदिर के पुजारी का दावा है कि इस मंदिर में जो महाजोत जल रही है, उसे जलाने के लिए किसी घी, तेल, मोम या किसी अन्य ईंधन की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि यह पानी से जलती है।
पुजारी सिद्धूसिंह बताते हैं कि पहले यहां हमेशा तेल का दीपक जला करता था, लेकिन करीब पांच साल पहले उन्हें माता ने सपने में दर्शन देकर पानी से दीपक जलाने के लिए कहा। मां के आदेश के अनुसार पुजारी ने ठीक वैसा ही किया।
पुजारी ने मंदिर के पास में बह रही कालीसिंध नदी से सुबह जाकर पानी भरा और उसे दीए में डाला। और जब दीया जलाया तो पानी होने के बावजूद दीया जलने लगा। ऐसा होने पर पुजारी खुद भी घबरा गए और करीब दो महीने तक उन्होंने इस बारे में किसी को कुछ नहीं बताया।
बाद में उन्होंने इस बारे में कुछ ग्रामीणों को बताया तो उन्होंने भी पहले यकीन नहीं किया, लेकिन जब उन्होंने भी दीए में पानी डालकर ज्योत जलाई तो ज्योति सामान्य रूप से जल उठी। उसके बाद से इस चमत्कार के बारे में जानने के लिए लोग यहां काफी संख्या में आते हैं।
पानी से जलने वाला ये दीया बरसात के मौसम में नहीं जलता है। दरअसल, वर्षाकाल में कालीसिंध नदी का जल स्तर बढ़ने से यह मंदिर पानी में डूब जाता है। जिससे यहां पूजा करना संभव नहीं होता।
इसके बाद शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन यानी पड़वा से दोबारा ज्योत जला दी जाती है, जो अगले वर्षाकाल तक लगातार जलती रहती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक जब दीए में पानी डाला जाता है तो वह अपने आप चिपचिपे तरल में बदल जाता है जिस वजह से दीपक जल उठता है।
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