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अब राज्यसभा सीट के लिए होगी जोर-आजमाइश
देहरादून। राज्यसभा की एक सीट के लिए 11 जून को चुनाव होना है। यह सीट भाजपा सांसद तरुण विजय के नाम पर खाली हो रही है। इस सीट को ही कांग्रेस के संकट के लिए एक कारण माना जा रहा था। इस सीट पर विजय बहुगुणा अपना कब्जा चाहते थे, जबकि रावत गुट ने पहले से ही तय कर लिया था कि अपने ही किसी खास को राज्यसभा भेजना है। ऐसे में लामबंदी हुई जो बाद में झगड़ा और फिर सत्ता की जंग में तब्दील हो गयी।
चार जुलाई को होगी सीट खाली
उत्तराखंड में राज्यसभा की तीन सीटें हैं, जिनमें से दो सीटें कांग्रेस के पास हैं। एक सीट से राजबब्बर और दूसरी सीट से महेंद्र सिंह माहरा राज्यसभा सांसद हैं। तीसरी सीट पर 2010 में बीजेपी सरकार में तरुण विजय राज्यसभा सांसद बने थे। तरुण विजय का राज्यसभा सांसद के रूप में कार्यकाल 4 जुलाई को समाप्त हो रहा है। इस सीट पर चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी कर दी है। चुनाव आयोग की अधिसूचना के मुताबिक चुनाव के लिए राज्य में स्थानीय स्तर पर 24 मई को अधिसूचना जारी की जाएगी. नामांकन करने की अंतिम तिथि 31 मई रखी गई है और नामांकन पत्रों की जांच 1 जून को होगी। 3 जून तक नाम वापसी हो सकेगी। 11 जून को राज्यसभा के लिए मतदान होगा। सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान होगा। 11 जून को ही शाम 5 बजे से वोटों की गिनती होगी। 13 जून से पहले चुनाव समाप्त हो जाएगा.
कांग्रेस-भाजपा में होगी कड़ी टक्कर
राज्यसभा का चुनाव उत्तराखंड में कांग्रेस और बीजेपी के लिए रस्साकशी वाला भी हो सकता है। हाल ही में निपटे घटनाक्रम के बाद बीजेपी राज्यसभा सीट के चुनाव के जरिए कांग्रेस को सदन में अल्पमत में दिखाने की कोशिश भी कर सकती है, क्योंकि ये बात सही है कि विधानसभा में कांग्रेस खुद अपनी सदस्य संख्या के हिसाब से बीजेपी से एक सदस्य कम पर ही होगी।
पीडीएफ फिर निर्णायक साबित होगा
अगर कांग्रेस की रेखा आर्य की राज्यसभा चुनाव तक दलबदल कानून के तहत सदस्यता चली जाती है तो 9 पहले बागियों को मिलाकर कांग्रेस के 10 सदस्य कम होने से संख्या 26 रह जाएगी। उधर बीजेपी के भीमलाल आर्य की सदस्यता दलबदल में चली भी जाती है तो भी बीजेपी सदन में कांग्रेस के विधायकों से ज्यादा 27 की संख्या पर रहेगी। ऐसे में पीडीएफ एकबार फिर से कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए महत्वपूर्ण हो जाएगा।यूं तो 6 विधायकों वाला पीडीएफ कांग्रेस को सरकार में सहयोग कर रहा है, लेकिन राज्यसभा सीट के चुनाव पर बीजेपी भी जोड़तोड़ की संभावनाओं के जरिए कांग्रेस को झटका देने की कोशिश कर सकती है। इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि इससे पहले मनोरमा डोबरियाल शर्मा और राजबब्बर के चुनाव से पहले पीडीएफ के नेताओं ने यहां तक कह दिया था कि उन्होंने कांग्रेस को सरकार में सहयोग किया है, बाकी मामलों में विचार करने के लिए वे स्वतंत्र हैं।
हालांकि ये अलग बात है कि चुनाव में पीडीएफ ने कांग्रेस का ही साथ दिया था। दूसरी तरफ पीडीएफ के सहारे ही सही, लेकिन विधानसभा में बहुमत में होने के चलते कांग्रेस में राज्यसभा सीट पर नेता चुनने को लेकर भी रस्साकशी देखने को मिलेगी. क्योंकि प्रदेश में ही कई कांग्रेसी राज्यसभा में जाने को लेकर मोर्चा खोल सकते हैं। हालांकि विजय बहुगुणा के बागी होने से एक दावेदार तो कम हुआ है, लेकिन अभी कांग्रेस के सामने प्रत्याशी चुनने की मुसीबत कम नहीं हुई है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को आगे रखने की चर्चाएं हो रही हैं. ऐसा करके पीडीएफ के सदस्य और राज्य सरकार में मंत्री दिनेश धनै का टिहरी से विधानसभा चुनाव लड़ने का रास्ता भी साफ किया जा सकता है.
इसके अलावा हरीश रावत के नजदीकी प्रदीप टम्टा और स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल को भी राज्यसभा भेजने पर विचार किया जा सकता है. ये भी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि दलित वोट, अल्पसंख्यक वोट और महिला सशक्तीकरण का संदेश देने की भी कोशिश हरीश रावत कर सकते हैं. जिसमें आशा टम्टा, सरोजनी कैंत्युरा के साथ ही किसी मुस्लिम चेहरे को भी आगे किया जा सकता है. बहरहाल, देखना होगा कि राज्यसभा चुनाव के बहाने प्रदेश की राजनीति किस रूप में सामने आती है. राज्य के किसी नेता को राज्यसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता है या फिर राजबब्बर की तरह कोई बाहरी प्रत्याशी आकर उत्तराखंड के नेताओं के अरमानों पर पानी फेरेगा।
नेशनल
भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव
एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।
उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।
उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।
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