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आध्यात्म

अयोध्या: रामलला के दर्शन को उमड़ रहे भक्‍त, एक दिन में आया 3.17 करोड़ का चढ़ावा

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Offering of one crore to Ramlala in 15 days

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अयोध्या। अयोध्‍या में नवनिर्मित मंदिर में स्थापित होने के बाद रामलला के दर्शन के लिए न केवल भक्तों का ज्वार उमड़ रहा है, बल्कि भक्तों का निधि समर्पण भी चरम पर है। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र के अनुसार, एक दिन में ही भक्तों ने रामलला को तीन करोड़ 17 लाख रुपये समर्पित किए। इस राशि में दर्शनार्थियों के अतिरिक्त देश-विदेश के भक्तों की ओर से ट्रस्ट के खाते में ऑनलाइन समर्पण भी शामिल है।

अनुमान है कि मंगलवार को रामलला के दर्शनार्थियों की संख्या पांच लाख तक जा पहुंची। श्रद्धालुओं के अपार ज्वार को देखते हुए ट्रस्ट की ओर से मंदिर परिसर में 10 दान काउंटर खोले गए थे और इन सभी पर श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही।

दर्शन के समय को बढ़ाया गया

अयोध्या में अपने भव्य, नव्य और दिव्य मंदिर में विराजे बालकराम के दर्शन के लिए लोगों में जबरदस्‍त उत्‍साह है। श्रद्धालुओं की अप्रत्याशित संख्या शासन-प्रशासन के लिए लगातार चुनौती बनी हुई है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को नियमों में बदलाव कर दर्शन अवधि को बढ़ा कर शाम सात से रात 10 बजे तक कर दिया है, जबकि आम दिनों (प्राण प्रतिष्ठा से पहले) में शाम सात बजे मंदिर बंद हो जाता था।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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