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मुख्य समाचार

अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ कांग्रेस पहुंची सुप्रीम कोर्ट

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अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन, कांग्रेस पहुंची सुप्रीम कोर्ट, अरुणाचल के मुख्यमंत्री नाबाम तुकी, भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी

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नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ कांग्रेस ने आज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अरुणाचल के मुख्यमंत्री नाबाम तुकी ने कहा कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है, भारत सरकार को कोर्ट के आदेश का इंतजार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम कोर्ट में लड़ाई लड़ेंगे और फैसला जनता करेगी। उधर, अरुणाचल के सीएम नाबाम तुकी 10 जनपथ पहुंचकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस मामले में भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि अरुणाचल का मामला राजनीतिक रूप से कांग्रेस पार्टी के आंतरिक संघर्ष का विषय है। कांग्रेस को इस मामले में राजनीतिक बयान देने से बचना चाहिए। मामला सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है।

बताते चलें कि अरुणाचल प्रदेश में पिछले साल दिसंबर से राजनीतिक संकट बना हुआ है। 16 दिसंबर को राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के 21 बागी विधायकों ने सरकार का साथ छोड़ दिया। विधानसभा में कांग्रेस के पास 42 विधायक थे। इन बागी विधायकों ने 11 भाजपा और दो स्वतंत्र विधायकों के साथ मिलकर विधानसभा से बाहर एक बैठक कर विधानसभा अध्यक्ष नाबाम रेबिया के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पारित कर दिया। इसके एक दिन बाद एक स्थानीय होटल में बैठक कर विधायकों ने मुख्यमंत्री नाबाम तुकी को सत्ता से बेदखल करने का प्रस्ताव पारित कर दिया। हालांकि गुवाहाटी हाई कोर्ट ने दखल करते हुए दोनों फैसलों को अवैध ठहरा दिया। केंद्रीय कैबिनेट ने इस संवैधानिक संकट में विधानसभा को निलंबित रखते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है। गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश के गवर्नर ने केंद्र को भेजी अपनी रिपोर्टो में राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की बात कही है। राज्य में स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि कई बार राजभवन तक का घेराव किया गया। यहां तक कि प्रदेश सरकार ने राज्यपाल द्वारा कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर लिखे पत्रों तक का जवाब नहीं दिया।

नेशनल

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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