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जिस नोटबंदी पर इतरा रही थी सरकार वो हो गई फुस्स, RBI ने दी बड़ी जानकारी
नई दिल्ली। बीते साढ़े चार सालों में सरकार का सबसे बड़ा फैसला ‘नोटबंदी’ असफल रही। ये दावा हम नहीं कर रहे बल्कि इसकी जानकारी खुद रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने दी है। बैंक ने जानकारी दी है कि नोटबंदी से पहले 15 लाख 44 हजार करोड़ रूपए की मुद्रा चलन में थी। जिनमें से 15 लाख 31 हजार करोड़ रूपए की मुद्रा नोटबंदी के बाद वापस आ गई।
8 नवम्बर 2016 को सरकार ने अपने कार्यकाल का सबसे ऐतिहासिक फैसला लिया। सरकार ने तब चलन में 500 और 1000 के नोटों को बंद कर नए नोट चलन में लाए। इस फैसले के पीछे तमाम तर्क दिए गए कि इससे कालाधन समाप्त हो जाएगा, आतंकवाद को दी जाने वाली फंडिग पर रोक लगेगी, नक्सलवाद खत्म हो जाएगा, कालाधन धारक पकड़े जाएंगे। लेकिन अब रिज़र्व बैंक ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार 15 लाख 44 हजार करोड़ रूपए में से 15 लाख 31 हजार करोड़ रूपए बैंक में वापस आ गए।
सवाल ये खड़ा होता है कि जब नोटबंदी से लगभग सारा पैसा वापस ही आ गया तो कालाधन कहां गया? और जब कालाधन, जो इस फैसले का सबसे पहला टारगेट था वो भेद नहीं हुआ तो देश पर क्यों इतने बड़े आर्थिक बदलाव को थोपा गया?
जब सरकार से इस फैसले का कारण या जवाब मांगा जा रहा था तो सरकार केवल समय मांगकर अपना बचाव करती नज़र आती थी। अब जब आरबीआई ने खुद आंकड़े जारी कर दिए हैं तो साफ है कि सरकार का ये फैसला पूरी तरह से असफल रहा।
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628 को उम्रकैद, 37 को दिलवाई फांसी, जानें कौन हैं मुंबई उत्तर मध्य सीट से बीजेपी उम्मीदवार उज्जवल निकम
मुंबई| लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने शनिवार को 15वीं सूची जारी कर दी। इस सूची में उज्जवल निकम का नाम भी शामिल है। मशहूर वकील उज्जवल निकम को भाजपा ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए मुंबई उत्तर मध्य सीट से प्रत्याशी बनाया है। इस सीट से पूनम महाजन का टिकट काट गया है।
बता दें कि पूनम महाजन मुंबई की नॉर्थ सेंट्रल सीट से बीजेपी की निवर्तमान सांसद है। बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें इस सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई थी। इससे पहले 2014 में भी वह इसी सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं लेकिन इस बार पार्टी ने उनपर भरोसा न जताकर वरिष्ठ वकील उज्जवल निकम को चुनावी मैदान में उतारा है।
बता दें कि उज्जवल निकल देश के जाने-माने वकील हैं उन्हीं ने मुंबई में 26/11 हमले को अंजाम देने वाले आतंकी आमिर कसाब को फांसी के फंदे तक पहुंचाया था। इस केस में वह विशेष लोक अभियोजक भी थे। इसके अलावा वह 1993 के बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड और प्रमोद महाजन हत्याकांड जैसे हाई प्रोफाइल केसों में सरकारी की ओर से केस लड़ चुके हैं। उन्होंने अपने 30 साल लंबे करियर में 628 लोगों को आजीवन कारावास और 37 लोगों को मृत्युदंड की सजा दिलवाई।
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