अन्तर्राष्ट्रीय
आखिर क्यों पुतिन ने बोला यूक्रेन पर हमला? क्या थी जंग छिड़ने की वजह? यहां पढ़ें
कई महीनों तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर हमले की किसी भी योजना से इनकार करते रहे। लेकिन गुरुवार को उन्होंने एक लाइव टीवी कार्यक्रम में यूक्रेन में ‘स्पेशल मिलिटरी ऑपरेशन’ का एलान कर दिया। रूसी राष्ट्रपति के इस एलान के बाद यूक्रेन की राजधानी कीएफ़ समेत देश के अन्य हिस्सों में धमाकों की आवाजें सुनी गईं।
रूस की तरफ़ से ये कार्रवाई पुतिन के मिन्स्क शांति समझौते को खत्म करने और यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों में सेना भेजने की घोषणा के बाद की गई है। रूस की तरफ़ से इन राज्यों में सेना भेजने की वजह ‘शांति कायम करना’ बताया गया है। रूस ने हाल के महीनों में यूक्रेन बॉर्डर के पास लगभग 2 लाख सैनिकों को तैनात किया हुआ था, जिसके बाद यूक्रेन पर हमले की अटकलें काफ़ी वक़्त से लगाई जा रही थीं।
हालांकि रूस लगातार इन अटकलों को ख़ारिज करता रहा। अब जब हालात और ख़राब हो चुके हैं और यूक्रेन के कई शहरों पर रूस के हमले की ख़बरें और तस्वीरें आने लगी हैं, तो ऐसे में सब के मन ये सवाल आता है कि आख़िर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चाहते क्या हैं? इसे समझने के लिए हमें 8 साल पीछे यानी साल 2014 में चलना होगा। तब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। उस वक़्त रूस समर्थित विद्रोहियों ने देश के पूर्वी हिस्से में एक अच्छे खासे इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लिया था। उस वक़्त से लेकर आज तक इन विद्रोहियों की यूक्रेन की सेना से भिड़ंत लगातार जारी है। दोनों देशों के बीच टकराव टालने के लिए मिन्स्क का शांति समझौता भी हुआ, लेकिन उसके बाद भी टकराव ख़त्म नहीं हुआ। पुतिन का तर्क है कि इसी वजह से वो सेना भेजने को मजबूर हैं।
रूस ने लंबे समय से यूक्रेन के यूरोपियन यूनियन, नेटो और अन्य यूरोपीय संस्थाओं के साथ क़रीबी का विरोध किया है। हालिया घटनाक्रमों के पीछ पुतिन का तर्क है कि यूक्रेन पूर्ण रूप से कभी एक देश था ही नहीं, उन्होंने यूक्रेन पर पश्चिमी देशों की कठपुतली बनने का भी आरोप लगाया है। पुतिन यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यूक्रेन नेटो में शामिल नहीं हो पाए। इसके लिए वह यूक्रेन और अन्य पश्चिमी देशों से गारंटी चाहते हैं। उनकी मांग है कि यूक्रेन अपना सैन्यीकरण बंद करे और किसी गुट का हिस्सा ना बने। सोवियत संघ का हिस्सा रहने की वजह से यूक्रेन का रूसी समाज और संस्कृति से गहरा जुड़ाव रहा है। वहां रूसी भाषा बोलने वालों की संख्या भी अच्छी खासी है। लेकिन 2014 के हमले के बाद से दोनों देशों के रिश्ते काफ़ी ख़राब हुए हैं। 2014 में रूस समर्थक माने जाने वाले यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति को सत्ता छोड़नी पड़ी। इसके बाद रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था।
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जेपी मॉर्गन के CEO बोले- अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेता की जरुरत
नई दिल्ली। अमेरिकी बैंकिंग फर्म जेपी मॉर्गन चेज के सीईओ जेमी डिमन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेताओं की आवश्यकता है। जेमी डिमन ने कहा कि पीएम मोदी ने भारत में जबदरस्त और अविश्वसनीय काम किया है। अमेरिका में भी भारत नरेंद्र मोदी की तरह का प्रधानमंत्री होना चाहिए।
इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेमी डिमन ने कहा कि मैं अमेरिका के लिबरल प्रेस को जानता हूं, जो लगातार नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हैं। उन्होंने 40 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है.। इस दौरान डिमन ने भारत में गरीबी उन्मूलन, बुनियादी ढ़ांचे आर्थिक विकास समेत कई अन्य विषयों पर खुलकर बात रखीं।
उन्होंने कहा, “अमेरिका के कई अधिकारी भारत को लेकर कई बातें कहते हैं, लेकिन अपना देश कैसे चलाना है इस बारे में सोचने की जरूरत है। भारत में नरेंद्र मोदी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की सरकारें जलवायु परिवर्तन और श्रम अधिकारों को लेकर भारत की आलोचना करती हैं, जबकि उनके पास शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है। फिर भी वो डटकर चुनौतियों का समाना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत ने एक नई चलन शुरू की है, जिसमें लोगों को फिंगर प्रिंट और आंख से पहचान की जाती है। यह भी भारत के लिए एक उल्लेखनीय है।
डिमन ने आगे कहा कि भारत मूलभूत सुविधाओं पर काम करते हुए आगे की दिशा में काम कर रहा है। विकासशील देश से विकसित देश की ओर बढ़ने के लिए वहां की सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
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