अन्तर्राष्ट्रीय
उत्तर कोरिया के खिलाफ मजबूत कदम उठाएंगे : पार्क ग्युन-हे
सियोल। दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क ग्युन-हे ने मंगलवार को कहा कि देश उत्तर कोरिया में बनते हालात को देखते हुए ‘मजबूत और अधिक प्रभावी’ कदम उठाएगा। पार्क ने अपने संसदीय भाषण में कहा कि इन कदमों से डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (डीपीआरके) या उत्तर कोरिया को इस बात का अहसास होगा कि कोई देश परमाणु विकास से अपना अस्तित्व कायम नहीं रख सकता।
राष्ट्रपति की ओर यह बयान पिछले सप्ताह दक्षिण कोरिया द्वारा लिए गए एक अहम फैसले के बाद आया है। दक्षिण कोरिया ने पिछले सप्ताह उत्तर कोरिया द्वारा किए गए परमाणु परीक्षण और रॉकेट लांच के खिलाफ कार्रवाई करते हुए डीपीआरके के शहर केसोंग की सीमा से लगती अंतर-कोरियाई फैक्ट्री पार्क को बंद कर दिया।
दक्षिण कोरिया के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए डीपीआरके ने एक दिन बाद ही अंतर-कोरियाई सहयोग परियोजना को बंद कर दिया और वहां काम कर रहे सभी दक्षिण कोरियाई मजदूरों को बाहर निकाल दिया। पार्क ने कहा कि केसोंग परिसर का पूर्ण रूप से बंद होना डीपीआरके के खिलाफ की जा रही कार्रवाई की शुरुआत का प्रतिनिधित्व करता है।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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