अन्तर्राष्ट्रीय
बान की-मून ने भारतीय वाणिज्यदूतावास पर हुए हमले की निंदा की
संयुक्त राष्ट्र| संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ शहर स्थित भारतीय वाणिज्यदूतावास पर हुए हमले की सोमवार को निंदा की। वह हालांकि पंजाब के पठानकोठ में भारतीय वायुसेना के अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले पर टिप्पणी करने से बचे। बान की-मून के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक से दैनिक ब्रीफिंग में पठानकोट आतंकवादी हमले के बारे में पूछा गया, जिसके जवाब में उन्होंने कहा, “मेरे पास इस बारे में कहने के लिए कुछ नहीं है। मेरे पास इस बारे में कहने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं है।”
दुजारिक ने कहा, “कार्रवाई अभी भी चल रही है।”
उन्होंने कहा, “मजार-ए-शरीफ में हुआ हमला यकीनन एक आतंकवादी हमला है, जिसकी हम निंदा करते हैं। विशेषकर जबकि हम कह चुके हैं कि यह हमला राजनयिक ठिकाने पर हुआ है, जिसकी हिफाजत करने की जरूरत है।”
वहीं, ईरान की राजधानी तेहरान में सऊदी अरब के दूतावास पर हुए हमले की निंदा करते हुए दुजारिक ने कहा, “हमने हालिया वर्षो में विभिन्न जगहों पर राजनयिक अभियानों पर हमले होते देखे हैं। महासचिव ने इनके खिलाफ आवाज बुलंद की और इस बार भी उन्होंने यही किया।”
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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