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अन्तर्राष्ट्रीय

फ्रांस में आतंकवादी हमलों का खतरा टला नहीं : ओलांद

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पेरिस| फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने नववर्ष की पूर्व संध्या पर गुरुवार रात कहा कि देश में आतंकवाद का खतरा अभी नहीं टला है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पेरिस में हुए भीषण आतंकवादी हमलों के छह सप्ताह बाद राष्ट्रपति ने रेडियो व टेलीविजन पर राष्ट्र से कहा कि देश में दूसरे हमले का खतरा बरकरार है।

ओलांद ने कहा, “खतरा अभी बरकरार है। तथ्य तो यह है कि आतंकवादी खतरे का स्तर उच्च है और हम हमले की योजनाओं को नाकाम कर रहे हैं।”

उल्लेखनीय है कि 13 नवंबर को हुए हमलों से पहले आतंकवादियों ने इस साल की शुरुआत में फ्रांस की व्यंग्य पत्रिका ‘शार्ली हेब्दो’ तथा एक यहूदी सुपरमार्केट पर हमला किया था।

ओलांद ने कहा, “इस साल हम भय के साये में रहे।” उन्होंने जनवरी व नवंबर में आतंकवादी हमलों के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी।

उन्होंने कहा, “ये त्रासदियां हमारी स्मृतियों में बैठ गई हैं। वे कभी नष्ट नहीं होंगी।”

राष्ट्रपति ने कहा, “लेकिन त्रासदी के बावजूद, फ्रांस ने घुटने नहीं टेके। आंखों में आंसुओं के बावजूद हम दोबारा उठ खड़े हुए। नफरतों का सामना करते हुए देश ने अपने मूल्यों की ताकत को दर्शाया।”

उन्होंने कहा, “साल 2015 दुख तथा प्रतिरोध का साल रहा। चलिए साल 2016 को साहस और आशा का वर्ष बनाएं।”

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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