Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

अन्तर्राष्ट्रीय

ज्यादातर भारतीय वैज्ञानिक हैं धार्मिक

Published

on

Loading

न्यूयार्क| आधे से ज्यादा भारतीय वैज्ञानिक खुद को धर्म के करीब मानते हैं और लगभग एक तिहाई का मानना है कि विज्ञान व धर्म न केवल एक साथ मौजूद है, बल्कि एक दूसरे की मदद भी करते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिकों पर किए गए सर्वेक्षण से यह बात सामने आई है। आमतौर पर यह धारणा है कि वैज्ञानिक नास्तिक होते हैं। इस अध्ययन ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में इस धारणा को गलत करार दिया है।

अमेरिका की राइस यूनिवर्सिटी की मुख्य शोधकर्ता एलेन हावर्ड एक्लुंड के अनुसार, “भारत, इटली, ताईवान और तुर्की के आधे से ज्यादा वैज्ञानिक खुद को धार्मिक बताते हैं।”

एक्लुंड की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, “इस अध्ययन में चौंकाने वाली बात यह थी कि वैज्ञानिकों की तुलना में हांककांग की सामान्य जनसंख्या के करीब दोगुने लोगों ने खुद को नास्तिक बताया था। उदाहरण के लिए 55 प्रतिशत लोगों की तुलना 26 प्रतिशत वैज्ञानिकों समुदाय के लोगों से की गई थी।”

शोधकर्ताओं ने हांककांग के 39 प्रतिशत वैज्ञानिकों की तुलना 20 प्रतिशत सामान्य नागरिकों से की और ताईवान के 54 प्रतिशत वैज्ञानिकों की तुलना 44 प्रतिशत नागरिकों के साथ की।

एक्लुंड के अनुसार, “इस सर्वेक्षण में प्रतिभागियों से धर्म और विज्ञान के बीच टकराव के बारे में प्रश्न किया गया, तो बेहद कम वैज्ञानिकों ने ही इस बात को स्वीकार किया कि विज्ञान और धर्म के बीच परस्पर कोई टकराव होता है।”

ब्रिटेन में हुए सर्वेक्षण के आधार पर केवल 32 प्रतिशत वैज्ञानिकों ने ही माना कि विज्ञान और धर्म के बीच टकराव होता है। वहीं अमेरिका में यह आंकड़ा केवल 29 प्रतिशत था।

अध्ययन के आंकड़े बताते हैं कि हांककांग के 25 प्रतिशत, भारत के 27 प्रतिशत और ताईवान के 23 प्रतिशत वैज्ञानिकों का मानना है कि विज्ञान और धर्म एक साथ रहकर परस्पर एक दूसरे की मदद करते हैं। सर्वेक्षण में इस मत को स्वीकार करने वाले वैज्ञानिकों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीय वैज्ञानिकों की थी।

इस अध्ययन के शोधार्थियों को विश्व के 9,422 उत्तदाताओं से यह जानकारी प्राप्त हुई। इस सर्वेक्षण में फ्रांस, हांककांग, भारत, इटली, ताइवान, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका के प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। शोधार्थियों ने 609 वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गहन अध्ययन के लिए इन क्षेत्रों की यात्रा की थी।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

Published

on

Loading

नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

Continue Reading

Trending