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प्रादेशिक

माया का नया दांव

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लखनऊ। यूपी की सियासत में सोशल इंजीनियरिंग की मास्टर मायावती ने एक और नया दांव फेंका है। वैसे यह पहली बार नहीं है कि बसपा की ओर से सवर्ण गरीबों के लिए आरक्षण की मांग की गई है पर मायावती ने राज्यसभा में यह मांग उठाकर यह संकेत जरूर दे दिया है कि 2017 में यूपी के विधानसभा चुनाव में वह कुछ नई तैयारियों के साथ उतरने का मन बना चुकी है।

आपको बतादें की दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण समीकरण के साथ मायावती ने 2007 में पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाई थी। 2012 में सत्ता से बेदखल होने के बाद से वह सर्वसमाज की बात तो कर ही रही थी अब गरीब सवर्णों के आरक्षण की पैरोकारी के जरिए अपने सियासी विरोधियों की राह में कांटे बिछाने की भी तैयारी कर रही है।दलितों वोटरों के आगे दाना डाल रही भाजपा और अतिपिछड़ों की गोलबंदी के जरिए अपनी ताकत बढ़ाने की दिशा में काम कर रही सपा के लिए मायावती का यह दांव कोई अबूझ पहेली तो नहीं ….. लेकिन इसकी काट तलाशना उनके लिए आसान भी नहीं। सत्ताधारी सपा भले ही यादव-मुस्लिम के साथ ही अतिपिछड़ों के आशीर्वाद के सहारे अगली बार सरकार के सपने संजो रही है पर अपनी सरकार के कुछ फैसलों की वजह से वह दलित वोटरों के निशाने पर भी आती जा रही है और ये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी बाखूबी जानते है इसीलिए बसपा को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते।

दरअसल प्रदेश में सपा और बसपा ही ऐसी पार्टी है जिसका मजबूत जनाधार 23 फीसदी से अधिक बना रहा है। पिछले तीन विधानसभा चुनाव के नतीजे और वोट प्रतिशत से साफ हैं कि सपा और बसपा ने एक दूसरे को सत्ता से बेदखल जरूर किया है पर उनके वोट प्रतिशत का गैप अधिकतम पांच फीसदी की सीमा को पार नहीं कर पाया।2014 के मोदी लहर में हुए लोकसभा चुनाव में भी सपा और बसपा के बीच वोट का अंतर मामूली रूप से 2 फीसदी ही रहा।

प्रदेश के दलित वैसे भी प्रदेश में बसपा की वापसी का इंतजार कर रहे हैं। प्रमोशन में आरक्षण का लाभ पाने वाले अफसरों-कर्मचारियों को रिवर्ट करने का फैसला दलित वोटरों के मन में किसी टीस से कम नहीं। इसी तरह दलितों को अपनी जमीन अन्य जातियों को बेचने की आजादी देने का सपा सरकार का फैसला भी दलितों का हितरक्षक कम अन्य जातियों को फायदा पहुंचाने वाला ज्यादा माना गया है।बसपा ने इस मुद्दे पर सियासी संज्ञान तो लिया है पर जाहिर है चुनाव के करीब आते ही इन दोनों ही मुद्दों को और धार मिलेगा और इसका सीधा तो नहीं पर परोक्ष नुकसान सपा को ही होगा। प्रदेश के मुस्लिम मतदाता इस चुनाव में क्या रुख लेंगे, किसका साथ देंगे इसका ठीक-ठीक आकलन तो अभी मुश्किल ही है। लेकिन यह तो तय ही है कि सपा के साथ तालमेल अब पहले जैसा नहीं रहा।विभाजन अभी से दिख रहा है। ऐसे में इसका लाभ भी आखिरकार बसपा के हक में दिख रहा है। आने वाले दिनों में बसपा की ओर से इस दिशा में भी तेजी दिख सकती है।

 

उत्तर प्रदेश

महोबा में गरजे सीएम योगी- ‘पाकिस्तान की जितनी आबादी है उससे ज्यादा लोग हमारे यहां गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं’

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महोबा। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को महोबा में एक जनसभा को संबोधित किया। सीएम योगी ने कहा कि कांग्रेस वाले कहते हैं पाकिस्तान के पास एटम बम है। उसके खिलाफ कुछ मत बोलो। तो मैंने कहा- क्या हमारे एटम बम फ्रिज में रखने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की जितनी आबादी है उससे ज्यादा लोग हमारे यहां गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं। पाकिस्तान के अंदर रोज आंदोलन हो रहे हैं। एक-एक किलो आटा के लिए मारपीट हो रही है। छीना-झपटी चल रही है। जो लोग रोज पाकिस्तान का राग अलाप रहे हैं उनसे कह दो कि अगर पाकिस्तान से इतना ही प्यार है तो हिंदुस्तान पर बोझ क्यों बने हैं। चले जाएं पाकिस्तान, वहां कटोरा लेकर भीख मांगें।

सीएम योगी ने कहा कि हमने बिना चेहरा, गांव या क्षेत्र देखे सबका साथ सबका विकास किया है।आज बुदेलखंड में बनी तोप जब सीमा पर गरजती है तो पाकिस्तान वालों की पैंट भीग जाती है। 2017 के पहले यहां डकैतों का आतंक था, बड़े बड़े माफिया थे। सपा, बसपा कांग्रेस ने यहां माफिया दिया जो लूट खसोट मचा रहे थे। बेटी और व्यापारी की सुरक्षा खतरे में थी। आज बुंदेलखंड को नोएडा के तर्ज पर विकसित करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। अब हमारा नौजवान बुंदेलखंड से पलायन नहीं करेगा। पूरी दुनिया आपके पास नौकरी की भीख मांगने आएगी। सीएम ने कहा कि क्या राम भक्तों पर गोली चलाने वाले भारत पर शासन करेंगे? हिंदुओं के हत्यारों को सत्ता सौंपेंगे क्या? कतई नहीं होना चाहिए ये पाप।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि बुंदेलखंड के साथ पिछली सरकारों ने अन्याय किया। सपा व कांग्रेस ने यहां की जनता का शोषण किया। योगी ने कहा कि 2014 के बाद से बुंदेलखंड में विकास तेजी से हुआ है। जो लोग राम भक्तों पर गोलियां चलाते थे उनको जनता इस चुनाव में भी सबक सिखाएगी।

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