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अन्तर्राष्ट्रीय

मोदी ने स्पेन के प्रधानमंत्री संग द्विपक्षीय बैठक की

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अंताल्या(तुर्की)| भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमध्य सागर के तट पर स्थित इस शहर में चल रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के दूसरे और अंतिम दिन सोमवार को स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो राजोय के साथ द्विपक्षीय बैठक की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा, “जी-20 तुर्की 2015 से अलग स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो राजोय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत की।”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो राजोय के साथ बैठक की।”

इससे पहले सोमवार को मोदी ने तुर्की के राष्ट्रपति और जी-20 शिखर सम्मेलन के मेजबान रेसेप तईप एडरेगन के साथ बैठक की थी।

मोदी ने रविवार को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी, जिस दौरान भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए असैन्य परमाणु समझौते की सभी प्रक्रियाएं पूरी की गईं।

मोदी ने यूरोपीय संघ के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जीन क्लाउड जंकर से भी रविवार को मुलाकात की थी।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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