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अन्तर्राष्ट्रीय

राष्ट्रपति शी के भाषण में छाया रहा दक्षिण चीन सागर

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सिंगापुर। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने सिंगापुर दौरे के दौरान शनिवार (आज) नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के योंग सिउ तोह कंजरवेटरी ऑफ म्यूजिक में भाषण दिया।

यहां शी ने दक्षिण चीन सागर विवाद पर अपने विचार रखे। पेश है इस भाषण के मुख्य बिंदु :

1) चीन और अन्य देश युगों युगों से दक्षिण चीन सागर द्वीपों पर अपना दावा पेश करते आ रहे हैं।

2) चीन सरकार ने क्षेत्रीय संप्रभुता की सुरक्षा करने और समुद्री सीमा अधिकारों की रक्षा को वैध बनाने की जिम्मेदारी उठाई है।

3) नौपरिवहन की स्वतंत्रता और दक्षिण चीन सागर के ऊपर से विमानों के आवागमन में न तो बाधा आई है और न ही आएगी।

4) चीन की दक्षिण चीन सागर नीति के शुरुआती बिंदु एवं उद्देश्य शांति व स्थिरता हैं।

5) आसियान देशों के साथ मिलकर दक्षिण चीन सागर में शांति, स्थिरता बनाए रखने के लिए चीन के पास क्षमता और आत्मविश्वास है।

6) चीन दक्षिण चीन सागर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान का हिमायती है लेकिन इसके बावजूद कुछ चीनी द्वीपों पर अन्य देशों ने गैरकानूनी तरीके से कब्जा जमाया हुआ है।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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