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अन्तर्राष्ट्रीय

चीन-सिंगापुर अनुकूल साझेदारी के लिए तैयार

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सिंगापुर। दो दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार को सिंगापुर पहुंचे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और सिंगापुर के राष्ट्रपति टोनी तान केंग याम के बीच आगामी वर्षों में चौतरफा सहयोग और सात वर्ष पुराने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को उन्नत बनाने के लिए चर्चा करने पर सहमति बनी।

विश्लेषकों का कहना है कि चीन के साथ सिंगापुर के विशेष संबंध हो सकते हैं। ईस्ट एशिया इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के निदेशक झेंग योंगनियान ने कहा, “समय के साथ तालमेल बिठाते हुए द्विपक्षीय संबंधों को कायम रखना दुर्लभ लेकिन उपयुक्त है।” सिंगापुर ने चीन के आधुनिकीकरण में विभिन्न भूमिकाएं अदा की हैं। सिंगापुर की तर्ज पर चीनी शहरों के निर्माण में मदद मिली है, जबकि सिंगापुर हमेशा चीन के साथ संबंध मजबूत करना चाहता है। चीन-सिंगापुर एफटीए पर अक्टूबर 2008 में हस्ताक्षर हुए थे। चीन द्वारा किसी एशियाई देश के साथ किया गया यह पहला द्विपक्षीय एफटीए समझौता था। सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सेन लुंग का कहना है कि इस सौदे ने द्विमार्गी व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह दोनों देशों के बीच निकट संबंधों का मजबूत स्तंभ है।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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