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हास्य से दर्शकों का मनोरंजन करना चाहती हैं टिस्का
मुंबई| ‘तारे जमीन पर’ और ‘रहस्य’ जैसी फिल्मों में अपने खास अंदाज के लिए पहचानी जाने वाली अभिनेत्री टिस्का चोपड़ा का कहना है कि वह फिल्मों में हास्य से दर्शकों का मनोरंजन करना चाहती हैं। टिस्का ने यहां एक कॉलेज में आरुषि तलवार हत्याकांड से संबंधित एक बहस के बाद संवाददाताओं को बताया मेरा काम खुद के एक हास्य कलाकार के रूप में देखने का है। अब मैं कॉमेडी करने की सोच रही हूं क्योंकि मैंने नाटकीय और अपराध थ्रिलर ‘रहस्य’ जैसी फिल्मों में काम किया है। मेरी आगामी फिल्म में मैंने एक वकील का किरदार निभाया है और कई अन्य तरह की भूमिकाएं भी की हैं लेकिन मैंने कॉमेडी नहीं की है। कॉमेडी करने का मेरा मन है क्योंकि मैं दर्शकों का अलग ढंग से मनोरंजन करना चाहती हूं। अभिनेत्री का कहना है कि वह संदेश देने के लिए फिल्म बनाना नहीं चाहती हैं।
चोपड़ा का कहना है कि अगर मैं संदेश देना चाहती तो मैं राजनीतिज्ञ होती, ना कि अभिनेत्री। मैं संदेश देने के लिए किताबें लिखती या गावों-गावों घूमकर संदेश देती और एक सामाजिक सेवक बनती। लोगों के लिए मेरा संदेश केवल यह है कि फिल्म देखें और आनंद ले और फिल्म पसंद आती है तो इसे 2-3 बार देखें। टिस्का की आगामी फिल्म ‘घायल वन्स अगेन’ है। इसके साथ वह तेलुगू फिल्म में आगामी फिल्म ‘ब्रुस ली’ में भी पदार्पण करने जा रही है।
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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