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मप्र : हालात से हारता किसान, 15 से ज्यादा ने गंवाई जान
भोपाल | मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार भले ही खेती को फायदे का धंधा बनाने का राग आलापती हो, किसानों की हरसंभव मदद के वादे करती हो मगर किसानों को इन वादों पर विश्वास नहीं है, तभी तो फसल की बर्बादी के आगे हार मान चुके किसान मौत को गले लगाए जा रहे हैं। बीते एक पखवाड़े में 15 से ज्यादा किसान दुनिया छोड़ गए हैं इनमें से कुछ ने खुद हार मानी है तो कुछ को सदमे ने निगल लिया है। राज्य के 51 जिलों में 21 जिले ऐसे हैं, जहां बारिश औसत से काफी कम हुई है, इनमें से पांच जिलों की 32 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है| मगर 16 जिले अब भी ऐसे हैं जो सूखे की जद में हैं और उन्हें सरकार की ओर से विशेष राहत की जरूरत है। किसान एक तरफ कर्ज से दबा है तो दूसरी ओर फसल की बर्बादी ने उसे मुसीबत से घेर दिया है।
राज्य में इस वर्ष हुई कम वर्षा और इल्ली के प्रकोप ने सोयाबीन सहित उड़द, तिल आदि की फसलों को बुरी तरह प्रभावित किया है। आलम यह है कि खेतों में हरियाली तो नजर आती है, मगर पैदावार न के बराबर हुई है। इससे किसान हताश है और उस पर निराशा हावी है। हाल यह है कि कई इलाकों में किसानों ने खड़ी फसल को काटना तक उचित नहीं समझा, क्योंकि उसे लगा कि फसल काटना घाटे का सौदा है और खेतों में जानवर छोड़ दिए हैं।
राज्य में कर्ज के बोझ और फसल की बर्बादी ने किसान की मुसीबत और बढ़ा दी है, यही कारण है कि किसी किसान की सदमे से मौत हो रही है तो कोई मौत को गले लगा रहा है। बीते 15 दिनों में सागर, खंडवा, बैतूल, विदिशा, अलिराजपुर, देवास, रीवा, सीहोर आदि स्थानों से 15 किसानों की मौत की खबरें आई है। इनमें 12 ने आत्महत्या की है तो तीन की मौत सदमे से होने की बात कही जा रही है। किसान नेता शिवकुमार शर्मा ने चर्चा करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री चौहान को लफ्फाज और खोखली बातें करने वाला नेता करार दिया है। उनका कहना है कि किसानों से वादे तो बहुत होते हैं, मगर उन पर अमल नहीं होता। किसानों को बीमा की राशि तक तो मिलती नहीं है, मुआवजा सिर्फ बातों तक ही रह जाता है।
शर्मा ने कहा कि बीते एक पखवाड़े में राज्य में 22 किसान मौत को गले लगा चुके हैं, यह सिलसिला आगे भी जारी रहने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता, क्योंकि किसान बीते चार वर्षो से पड़ रही प्राकृतिक आपदा से बुरी तरह टूट चुके हैं। मुख्यमंत्री चौहान सिर्फ उद्योगपतियों के लिए काम कर रहे हैं, विदेश जा रहे हैं, मगर उन्हें किसानों की चिंता नहीं है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रदेश सचिव बादल सरोज ने कहा कि पूरे प्रदेश में सूखे के हालात हैं। सरकार को 10 हजार रुपये प्रति एकड़ के मान से किसान को राहत राशि देनी चाहिए, मनरेगा के तहत 200 दिन का काम दिया जाए। इसके साथ सर्वेक्षण कार्य पूरा होने पर किसान को क्षतिपूर्ति की शत-प्रतिशत राशि दी जाए। राज्य का अन्नदाता एक बार फिर निराश है और मौसम से मिली हार के बाद उसे अब सिर्फ सरकार से ही आस है। इस स्थिति में अगर सरकार ने भी उसका साथ नहीं दिया तो किसानों की मौत का आंकड़ा पिछले सालों से भी आगे निकलने से कोई नहीं रोक पाएगा।
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रायबरेली में होगी अमेठी से भी बड़ी हार, बीजेपी का राहुल गांधी पर निशाना
लखनऊ। कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी से उम्मीदवार कौन होगा? इसपर सस्पेंस खत्म कर दिया है। पार्टी ने शुक्रवार को नामांकन के आखिरी दिन नई लिस्ट जारी कर इन दोनों सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दिया है। कांग्रेस ने अमेठी से केएल शर्मा को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस की पारंपरिक सीट रायबरेली से खुद राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद भाजपा ने राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर निशाना साधा है।
उपमुख्मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘राहुल गांधी और गांधी परिवार में अमेठी-रायबरेली से चुनाव लड़ने का साहस नहीं हो रहा है, लेकिन किसी ने उन्हें (राहुल गांधी) समझाया होगा कि पिछली बार सोनिया गांधी इतने मतों से जीत गई थीं इसलिए आप अमेठी न जाकर रायबरेली चलिए। रायबरेली में राहुल गांधी की अमेठी से भी बड़ी पराजय होने जा रही है। हम ये दोनों सीटें तो बहुत बड़ें नंबर से जीतेंगे ही साथ ही उत्तर प्रदेश की 80 की 80 सीटें भी जीतेंगे’
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राहुल गांधी पहले अमेठी छोड़कर वायनाड भाग गए थे, अब वायनाड छोड़कर रायबरेली आ गए हैं, रायबरेली के लोग उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेंगे। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी पारी को लेकर जिस तरह का माहौल बना है, वही कारण है कि कांग्रेस पहले तो तय नहीं कर पा रही थी कि क्या करना चाहिए। पिछली बार राहुल गांधी अमेठी से हार कर केरल की तरफ भागे थे। अब वायनाड से हार की आशंका देखते हुए रायबरेली आ गए। उत्तर प्रदेश का माहौल मोदीमय हो चुका है। हम पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ने जा रहे हैं… रायबरेली की जनता भी उनका(राहुल गांधी) इंतजार कर रही है कि कांग्रेस ने पीएम मोदी के बारे में जो भी हल्की बातें कही हैं उसका हिसाब उन्हें देना पड़ेगा।’
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