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नेपाल की सशक्त पहाड़ी महिलाओं ने अपनाई खेती की हरित तकनीकें

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काठमांडू | नेपाल के पहाड़ों में महिलाएं खेतों को फिर से हरा-भरा करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल खेती जैसे उपाय अपना रही हैं। लेकिन इसी के साथ उन्हें बढ़ते तापमान और बारिश की कमी के कारण उत्पन्न चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। कावरेपलंचोक जिले के डच पोखारी गांव में रहने वाली समुदायिक नेताओं में से एक 40 वर्षीया नानू  का कहना है की पहले गांव की महिलाएं अपने अधिकारों और समानता से वंचित थीं। उनकी भूमिका केवल खेतीबाड़ी और पशु पालन तक ही सीमित थी और गांव के पुरुषों और महिलाओं के बीच संवाद की कमी थी।

नानू ने कहा कि लेकिन जब जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों पर प्रभाव पड़ा और फलस्वरूप फसलों के उत्पादन में कमी आने लगी तब स्थानीय महिलाओं ने जीवनयापन के लिए अन्य उपाय ढूंढने के लिए साथ मिलकर एक स्वयं सहायता समूह का गठन किया। काठमांडू में स्थित एक क्षेत्रीय अंतर्सरकारी शोध संगठन ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटिड माउंटेन डेवलपमेंट’ (आईसीआईएमओडी) और अन्य संस्थाओं की मदद से समूह ने 95 से अधिक परिवारों वाले अपने समुदाय को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।

एक अन्य महिला नेता निमा लामा ने बताया कि गांव के वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं की मदद से उन्होंने एक कार्ययोजना तैयार की। गांव के घटते पानी के स्तर के समाधान के लिए क्षेत्र के सभी पारंपरिक जल संसाधनों का खाका तैयार किया। इससे पता चला कि गांव के एक वर्ष पूर्व के 60 जल संसाधनों में से घटकर अब केवल एक-तिहाई रह गए हैं। महिला नेताओं ने गांव में 28 सामुदायिक जलाशय निर्मित किए, नमी के संरक्षण के लिए ‘माल्चिंग’ तकनीक का प्रयोग किया, जंगलों पर दबाव को कम करने के लिए अपने किचन गार्डन में जैविक खाद और बायोगैस का प्रयोग किया।

उन्होंने गांव में एक बीज बैंक भी स्थापित किया है, जो अनुवांशिक रूप से बेहतर बीज प्रदान करता है। साथ ही एक स्वयं प्रबंधित सहकारिता बैंक का भी गठन किया है। वे मिट्टी के संरक्षण के लिए जाल का प्रयोग करते हैं और नजदीकी जंगलों की देखरेख के लिए सुरक्षा गार्ड भी तैनात किए हैं। काशी खांडा नगर निगम की वार्ड संख्या तीन का डच पोखारी अब सबसे सम्पन्न गांवों में से एक है। नेपाली गैर सरकारी संगठन सीईएपीआरईडी मौसम और फसलों के रोगों के बारे में सही समय पर जानकारी के लिए किसानों को उपग्रह तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है। आईसीआईएमओडी के महानिदेशक डेविड मोल्डन ने कहा कि हिंदू कुश की महिलाओं का पर्यावरण के साथ अनोखा रिश्ता है।आईसीआईएमओडी सामजिक, आर्थिक, राजनीतिक और प्रौद्यौगिक क्षेत्रों में सर्वोत्तम प्रथाओं के विकास और सीख के माध्यम से पहाड़ी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम कर रही है।

 

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जेपी नड्डा का ममता पर हमला, कहा- संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा

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नई दिल्‍ली। भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पर तगड़ा हमला बोला है। उन्‍होंने कहा कि ममता दीदी ने बंगाल को क्‍या बना दिया है। जेपी नड्डा ने कहा कि संदेशखाली, ममता बनर्जी की निर्ममता और बर्बरता का संदेश चीख-चीख कर दे रहा है। ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है? जहां रवींद्र संगीत गूंजना चाहिए था, वहां बम-पिस्तौल मिल रहे हैं।

संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। इसी से समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने किस तरह अराजकता फैला रखी है। मैं बंगाल के सभी भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता से अपील करता हूं कि आप सभी संदेशखाली पर ममता बनर्जी से जवाब मांगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने संदेशखाली की पीड़िता को पार्टी का टिकट देकर भाजपा महिला सशक्तिकरण के संदेश को मजबूती दी है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को जवाब दिया है कि ये महिलाएं अकेली नहीं है उनके साथ पूरा समाज, पूरा देश खड़ा है। संदेशखाली में महिलाओं की इज्जत-आबरू और उनकी जमीनें बचाने के लिए वहां गई जांच एजेंसियों के अधिकारियों पर भी घातक हमला किया गया।

जेपी नड्डा ने आगे कहा, “मैं आज समाचार पढ़ रहा था कि संदेशखाली में तलाशी के दौरान सीबीआई ने तीन विदेशी रिवॉल्वर, पुलिस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक रिवॉल्वर, बंदूकें, कई गोलियां और कारतूस बरामद किए हैं।” इसी से समझा जा सकता है कि ममता सरकार ने राज्य में किस तरह अराजकता फैला रखी है। उन्होंने पूछा कि क्या ममता बनर्जी जनता को डराकर, उनकी जान लेकर चुनाव जीतेंगी। क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवीन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो जैसे मनीषियों ने ऐसे बंगाल की कल्पना की थी।

संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। ममता दीदी, यदि आपको ऐसा लगता है कि आप ऐसा करके चुनाव जीत जाएंगी तो ये आपकी भूल है। जनता आपको इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि हमने देखा कि ममता सरकार में तृणमूल कांग्रेस के शाहजहां शेख जैसे असामाजिक तत्व संदेशखाली में महिलाओं के अस्तित्व पर खतरा बने हुए हैं। महिलाओं के साथ जिस तरह का सलूक हो रहा है वह सच में बहुत ही संवेदनशील और कष्टदायी है।

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