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अन्तर्राष्ट्रीय

सिंगापुर आम चुनाव में सत्तारूढ़ पीएपी की जीत

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सिंगापुर। सिंगापुर में हुए आम चुनाव में सत्तारूढ़ पीपुल्स एक्शन पार्टी (पीएपी) को भारी मतों से जीत मिली है। शनिवार को आए चुनाव परिणाम में देश की 89 संसदीय सीटों में से 83 पर पार्टी को जीत मिली है, जबकि विपक्षी वर्कर्स पार्टी (डब्ल्यूपी) सिर्फ छह सीटें जीतने में कामयाब रही। 

चुनाव विभाग के अनुसार, पीएपी को 69.86 प्रतिशत वोट मिले, जो वर्ष 2001 में पार्टी को मिली भारी जीत के दौरान मिले 75.3 प्रतिशत वोट के बाद सर्वाधिक है।

सिंगापुर के प्रधानमंत्री, जो पार्टी के महासचिव भी हैं, ली सीन लुंग ने चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि यह ‘पीएपी के लिए अच्छा चुनाव परिणाम’ है।

पीएपी ने जो सीटें जीती हैं, उनमें से 15 समूह प्रतिनिधित्व निर्वाचन क्षेत्र (जीआरसी) और 12 एकल सदस्यीय प्रतिनिधित्व निर्वाचन क्षेत्र (एसएमसी) शामिल हैं। पार्टी कांटे के मुकाबले में विपक्षी वर्कर्स पार्टी से पुंगोल ईस्ट एसएमसी दोबारा हासिल करने और ईस्ट कोस्ट जीआरसी जीतने में भी कामयाब रही। विपक्षी डब्ल्यूपी हुंगांग एसएमसी और अल्जुनाइट जीआरसी बहुत कम मतों के अंतर से जीतने में कामयाब रही।

प्रधानमंत्री ली और उनकी टीम को आंग मो कियो जीआरसी पर 78.6 प्रतिशत वोट मिले। उन्होंने मलय, मैंडरिन और अंग्रेज समर्थकों को धन्यवाद देते हुए कहा, “हम बहुत आभारी हैं।”

इस चुनाव में पीएपी को सभी 89 सीटों पर मुकाबलों का सामना करना पड़ा। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। देश की 89 संसदीय सीटें 16 सामूहिक प्रतिनिधित्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों (जीआरसी) में बंटी हुई हैं, जहां चुनाव लड़ रही एक पार्टी के उम्मीदवार को एक समूह और 13 एकल सदस्य निर्वाचन क्षेत्रों (एसएमसी) के रूप में चुनाव लड़ने की जरूरत होती है।

सत्तारूढ़ पीएपी को वर्ष 2011 के आम चुनाव में 87 में से 81 सीटें मिली थी, जबकि वोट प्रतिशत 60.14 था। यह वोट प्रतिशत पार्टी को देश के आम चुनाव में मिला सबसे कम वोट प्रतिशत था। इससे पहले वर्ष 2006 के आम चुनाव में पार्टी को 66.6 प्रतिशत वोट मिले थे।

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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