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खेती को मिलेगा नया आयाम, एचपीएमआई ने मांगा गवर्नर से सहयोग
लखनऊ। किसानों के सशक्तीकरण के लिए काम कर रही देश के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिकों की संस्था हार्टीकल्चर प्रोड्यूस मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (एचपीएमआई) के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में एचपीएमआई के अध्यक्ष डॉ. सत्येन यादव और फंक्शनरी डॉ.सुदीप नियोगी मौजूद थे। इस दौरान डॉ. सत्येन यादव ने राज्यपाल को किसानों को कृषि के अत्याधुनिक तौर-तरीकों से अवगत कराने, उन्हें सशक्त बनाने, कृषि अर्थव्यवस्था को नया आयाम देने की अपनी योजनाओं से अवगत कराया। उन्होंने राज्यपाल से कहा कि यदि उन्हें प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों का सहयोग मिल जाए तो निश्चित ही प्रदेश की कृषि व्यवस्था और सूबे के किसानों को नया आयाम मिल सकेगा।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2000 में स्थापित एचपीएमआई विगत कई सालों से किसानों के सशक्तीकरण के लिए काम कर रही है। इस संस्था ने आम निर्यात क्षेत्र, आलू निर्यात क्षेत्र स्थापित करने जैसी बेहद महत्वपूर्ण परियोजनाओं को भी अमली जामा पहनाया है। संस्था ने हाल ही में मुजफ्फरनगर में एक पायलट प्रोजेक्ट पूरा किया है। अब संस्था ने उत्तर प्रदेश के किसानों की दशा को सुधारने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसी उद्देश्य से संस्था ने पिछले आठ महीनों से यूपी पर फोकस किया हुआ है। इसी के मद्देनजर मंगलवार को एचपीएमआई के अध्यक्ष डॉ. सत्येन यादव ने राज्यपाल राम नाइक से मुलाकात की। उन्होंने राज्यपाल से कहा कि अगर कृषि विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर पीपीपी मॉडल को अपनाया जाए तो निश्चित ही किसानों का भला हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इस काम में विश्वविद्यालय के इन्फ्रास्ट्रक्चर और मानव संसाधनों का बखूबी इस्तेमाल हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए अलग से किसी बजट की भी जरूरत नहीं होगी क्योंकि एचपीएमआई केंद्रीय योजनाओं का अधिकाधिक फायदा किसानों को दिलवाने का प्रयास करेगा और संस्था इसके लिए अपने साधनों का इस्तेमाल करेगी।
एचपीएमआई के अध्यक्ष डॉ. सत्येन यादव ने राज्यपाल राम नाइक से कहा कि इस कार्य में उन्हें सूबे के 5 कृषि विश्वविद्यालयों फैजाबाद, इलाहाबाद, बांदा, मेरठ और कानपुर के सहयोग की जरूरत है। उन्होंने राज्यपाल को संस्था के अन्य कार्यों से भी अवगत कराया। संस्था ने अब तक 18 किसान उत्पादक कंपनियों का गठन किया है जिसमें 6 हजार किसान जुड़े हैं। एचपीएमआई ने जैविक खेती के 4 समूहों को भी अंगीकृत किया है जिसमें 14 हजार किसान जुड़े हैं। संस्था ने एग्रीमार्ट बनाने और स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराती है। एचपीएमआई जल्द ही एक विशेष प्रकार का दूध ए-2 भी बाजार में लाने की तैयारी कर रही है। ये दूध देसी गाय से निकाला जाता है। डॉ. यादव ने बताया कि वर्तमान में देश लगभग पूरी तरह विदेशी नस्ल की गाय के दूध पर निर्भर है। ये दूध काफी हानिकारक होता है और लोगों में कई बीमारियों की भी वजह बनता है। इसीलिए ए-2 दूध को जल्द ही उपलब्ध कराया जाएगा।
नेशनल
पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे
श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।
नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।
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