प्रादेशिक
उत्तर प्रदेश के पहले आंचलिक पत्रकार सम्मेलन का हुआ भव्य आयोजन, देखें तस्वीरें
उतर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सीएमएस ऑडिटोरियम में उत्तर प्रदेश का पहला आंचलिक पत्रकार सम्मेलन आयोजित किया गया । यह कार्यक्रम 30 मई यानि कि हिंदी पत्रकारिता दिवस पर शुरू हुआ है।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक शामिल हुए। मुख्य अतिथि के साथ बाकी गणमान्य लोगों ने कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन के साथ की।
आंचलिक पत्रकार सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के लगभग 800 पत्रकार शामिल हो रहे हैं। पत्रकारों के अला वा इसकार्यक्रम में कई अन्य दिग्गज भी शिरकत कर रहे हैं। पत्रकार सम्मलेन का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय पत्रकारिता के समक्ष बदले समय में आ रही चुनौतियां और उनसे निपटने पर विचार-विमर्श करना है।
आइए देखते हैं उत्तर प्रदेश के पहले आंचलिक पत्रकार सम्मेलन की कुछ झलकियां …
आंचलिक पत्रकार सम्मेलन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रामनाइक ने कहा, ” पत्रकारिता अपने दम पर भारत का चौथा स्तंभ बनी है। चार दिसंबर 1826 को भारत का पहला अखबार उदंत मार्तंड शुरू किया गया। वह अखबार अधिक समय तक नहीं चल पाया, लेकिन उसकी शुरूआत ही एक बड़ी बात थी। लोकमान्य तिलक ने हिंदी पत्रकारिता को एक नया मोड़ दिया। चौथा स्तंभ मजबूत रहना चाहिए और इसे आगे चमकते रहना चाहिए।”
आंचलिक पत्रकार सम्मेलन में नेशनल मीडिया क्लब के संस्थापक रमेश अवस्थी ने आज के युग में हिंदी पत्रकारिता की अहमियत के बारे में अपनी बात रखी। उन्होंने सम्मेलन में आए पत्रकारों को बधाई दी और पत्रकारिता को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने की बात कही।
इस मौके पर सीएमएस स्कूल के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी ने बताया, ” आज के समय में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पत्रकार ही वोट डालने के लिए सभी को जागरूक करते हैं और भ्रष्टाचार खत्म करने के प्रति हमें जागरूक करते हैं। मैं रमेश अवस्थी को इस पहल की शुरूवात के लिए बधाई देता हूं।”
इस आयोजन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, ” मैं रमेश अवस्थी जी के इस आयोजन और स्वछता अभियान के लिए बधाई देता हूं और नेशनल मीडिया कल्ब NMC के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।एनएमसी को आगे बढ़ने में सरकार का पूरा सहयोग है और रहेगा। ”
आंचलिक पत्रकार सम्मेलन में साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा, ” मैं पौराणिक क्षेत्र को पत्रकारिता से जोड़ना चाहती हूँ। आंचलिक पत्रकारों के माध्यम से ही हमें छोटी से छोटी खबरें मिल पाती हैं। आंचलिक पत्रकार प्राथमिक सूचना का स्रोत होता है। स्वछता अभियान सबका है, पत्रकारों ने ही इसे सफल बनाया है। मैं मीडिया और रमेश जी का बहुत बहुत अभिनंदन करती हूं। आने वाले समय में गांव के पत्रकारों को भी प्रोत्साहन देना चाहिए।”
उत्तर प्रदेश के पहले आंचलिक पत्रकार सम्मेलन में विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा, ” पत्रकारिता जगत में इस तरह के समागम ज़्यादा देखने को नहीं मिलते हैं। आज यहां पर दूर-दूर से गांव-देहात के पत्रकार शामिल होने आए हैं। सभी को दिल से बधाई।” उन्होंने मज़ाकिए लहजे में आगे कहा कि आज अगर नारद जी होते, तो वो पत्रकारों के काफी मददगार साबित हो सकते थे।”
” हमारे पास पत्रकारों की समस्या को लेकर कई शिकायतें आई हैं, प्रदेश सरकार इन शिकायतों पर जल्द ही कार्रवाई करेगी। आज गांव के पत्रकार बंध कर रह जाते हैं, उन्हें आगे लाने के लिए नेशनल मीडिया क्लब अच्छा काम कर सकता है। इस आयोजन के लिए क्लब को हार्दिक बधाई।” यूपी के कैबिनेट मंत्री राजेश अग्रवाल ने समारोह में लोगों को संबोधित करते हुए कहा।
आंचलिक पत्रकार सम्मेलन के मौके पर पत्रकारों के लिए खासतौर पर सरकारी निदर्शिनी को लांच किया गया। निदर्शिनी में सरकारी विभागों के ज़रूरी मोबाइल नंबर मौजूद हैं। इनकी मदद से पत्रकारों को न्यूज़ रिपोर्ट बनाने में मदद मिलेगी।
कार्यक्रम में आए पत्रकारों को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा,” आज पहली बार पत्रकारों की अंदर की बात जानने का मौका मिला। पहले की पत्रकारिता और आज की पत्रकारिता में बहुत अंतर है। आज ज़िलों और ब्लॉक में रह कर काम करने वाले पत्रकारों की पत्रकारिता में अहम भूमिका है। मैं पत्रकारों के हित के लिए राज्य सरकार से उनके लिए पैरवी करूंगा।”
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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