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देश के कई राज्यों में भूकम्प से दहशत, बिहार में 8 की मौत
यूपी, बिहार, दिल्ली, राजस्थान समेत पूरे उत्तर भारत में मंगलवार दोपहर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। ये झटके करीब 12 बजकर 38 मिनट पर आए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.4 थी। लखनऊ, पटना, दिल्ली, चंडीगढ़, कोलकाता आदि शहरों में भूकंप के झटके महसूस हुए। बिहार में आए भूकंप से 8 लोगों की मौत हो गई। भूकंप का पता चलते ही लोग सहम गए और घरों के बाहर की ओर भागे। दिल्ली और कोलकाता में भूकंप महसूस होते ही मेट्रो सेवा रोक दी गई। सुप्रीम कोर्ट में भी कामकाज रोक दिया गया।
भूकंप के ये झटके तीन बार आए। भूकंप का केंद्र नेपाल का कोडारी था। जमीन के 19 किलोमीटर नीचे भूकंप का केंद्र था। लोगों ने बताया कि दोपहर में अचानक उन्हें जमीन हिलती महसूस हुई। उसके बाद लोगों को यह समझते देर न लगी कि एक बार फिर भूकम्प ने दस्तक दे दी है। आधे घंटे बाद करीब एक बजकर 10 मिनट पर फिर झटके महसूस किए गए। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि भूकंप के ये झटके दोबारा भी आ सकते हैं।
बिहार की राजधानी पटना सहित राज्य के विभिन्न इलाकों में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए गए। पहला झटका दिन के करीब 12.38 बजे, जबकि दूसरा झटका दोपहर 1.07 बजे महसूस किया गया। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, राजधानी पटना के अलावा पूर्णिया, समस्तीपुर, सीवान, बेगूसराय, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए। पटना स्थित आपदा प्रबंधन विभाग नियंत्रण कक्ष में पदस्थापित एक अधिकारी के अनुसार, अब तक मिली सूचना के मुताबिक पटना, दरभंगा, समस्तीपुर और सीवान में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। चार अन्य व्यक्तियों की भी मौत हो गई। मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका है। भूकंप के जोरदार झटके महसूस होते ही लोग घरों से बाहर सड़क पर निकल आए। अधिकारी और कर्मचारी भी कार्यालय छोड़ खुले मैदान में पहुंच गए। आपदा प्रबंधन विभाग ने एहतियातन अलर्ट जारी कर दिया है।
भूकंप के तुरंत बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव ब्यासजी ने आपातकालीन बैठक बुलाकर एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) और एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीमों को राहत कार्यों में जुटने का निर्देश दिया। सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। राज्य के सभी थाना प्रभारियों को अपने-अपने क्षेत्र पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मंगलवार को 30 सेकंड से अधिक समय तक भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक एल.एस. राठौड़ ने बताया कि भूकंप का केंद्र हिमालयी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू से 60 किलोमीटर दूर पूर्व में था। उन्होंने कहा कि भूकंप के बाद जल्द ही तीन और झटके महसूस किए गए। राठौड़ ने कहा कि आने वाले कुछ सप्ताहों या कुछ महीनों तक झटकों का आना जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि भूकंप का पहला झटका अपराह्न् 1.04 बजे आया। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 5.4 थी। दूसरा झटका (6.4) अपराह्न् 1.06 बजे आया और आखिरी व अंतिम झटका 1.44 बजे आया। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.8 मापी गई। भूकंप के झटकों की वजह से दिल्ली मेट्रो की सेवाएं कुछ देर लिए रोक दी गई थीं। दिल्ली मेट्रो के एक अधिकारी ने बताया, “अपराह्न् करीब 12.38 बजे भूकंप का झटका महसूस हुआ। उसके बाद ट्रेन सेवा रोक दी गई, जो 12.45 बजे दोबारा शुरू की गई।”
अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि राजधानी दिल्ली में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। दिल्ली अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “दिल्ली में फिलहाल भूकंप से किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।” दिल्ली निवासी अधिवक्ता उत्तम दत्त ने बताया, “जिस वक्त भूकंप आया, मैं अपने क्लाइंट के साथ घर में था। हम सब इमारत से बाहर भागे और देखा कि भूकंप महसूस होने के बाद कई अन्य लोग भी अपने घरों से बाहर निकल आए हैं। भूकंप करीब 30-45 सेकंड तक रहा।”
राजस्थान में भी अधिकतर इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। जिसके कारण लोग कार्यालयों और घरों की इमारतों से निकलकर बाहर आ गए। हालांकि, अभी तक राज्य में भूकंप से जान-माल की हानि की कोई खबर नहीं मिली है। भूकंप के झटकों के बाद लोग चिंतित नजर आए। लोग अपने परिजनों से फोन पर उनकी खैरियत की जानकारी लेते नजर आए।
ऊंची इमारतों में रहने वाले लोगों को भूकंप ज्यादा महसूस हुआ। कुछ इमारतों में हल्की दरारें देखी गईं। जयपुर के सी-स्कीम इलाके में एक इमारत के पांचवें तल पर रहने वाले राकेश शर्मा ने बताया, “इस बार हमने अप्रैल के भूकंप से ज्यादा देर तक भूकंप महसूस किया। हम सभी अपने घरों से वापस आ गए थे।” एक निजी कंपनी में कार्यकारी के तौर पर कार्यरत पूजा तिवारी ने कहा कि मैं अपनी कुर्सी पर बैठी कंप्यूटर पर काम कर रही थी। अचानक मेरी कुर्सी हिलने लगी। जैसे ही मुझे एहसास हुआ कि यह भूकंप है, मैं अपने कार्यालय के बाहर आ गई। रेतीले शहर बाड़मेर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए, हालांकि यहां हल्के झटके महसूस किए गए। बाड़मेर के एक निवासी विक्रम सिंह ने बताया, “मुझे लगा कि मेरे आसपास की चीजें हिल रही थीं, लेकिन यह कुछ ही सेकेंड के लिए हुआ।”
उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। अपराह्न् 12.35 बजे के लगभग आए झटके का प्रभाव कुछ सेंकेंड तक रहा। अधिकारियों ने कहा कि शुरुआती रपट में किसी भी स्थान से जान-माल की किसी तरह की हानि की सूचना नहीं है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित राज्य के कई अन्य हिस्सों में भी मंगलवार दोपहर भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसके चलते बहुमंजिता इमारतों में चलने वाले दफ्तरों में भगदड़-सी मच गई और लोग बाहर निकल कर सड़कों पर आ गए। भोपाल के प्रमुख प्रशासनिक केंद्र बल्लभ भवन सहित अन्य बहुमंजिला इमारतों से कर्मचारी व अन्य लोग बाहर आए गए। हर तरफ अफरातफरी मच गई। इसी तरह जबलपुर व ग्वालियर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।
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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता व ग्वालियर राज घराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया का निधन हो गया है। उनका इलाज पिछले दो महीनों से दिल्ली के एम्स में चल रहा था। आज सुबह 9.28 बजे उन्होंने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली।
हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया था कि, राजमाता माधवी राजे को सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें 15 फरवरी को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। इसी साल 6 मार्च को भी उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। उस समय भी उनकी हालत नाजुक थी और उनको लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम पर रखा गया था।
पहली बार 15 फरवरी को माधवी राजे की तबीयत बिगड़ी थी, उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसके बाद से ही उनकी हालत नाजुक बनी हुई थे। वे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कुछ समय पहले यह जानकारी शेयर की थी।
नेपाल राजघराने से माधवीराजे सिंधिया का संबंध है। उनके दादा शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के प्रधानमंत्री थे। कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया के साथ माधवी राजे के विवाह से पहले प्रिंसेस किरण राज्यलक्ष्मी देवी उनका नाम था। साल 1966 में माधवराव सिंधिया के साथ उनका विवाह हुआ था। मराठी परंपरा के मुताबिक शादी के बाद उनका नाम बदलकर माधवीराजे सिंधिया रखा गया था। पहले वे महारानी थीं, लेकिन 30 सितंबर 2001 को उनके पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के निधन के बाद से उन्हें राजमाता के नाम से संबोधित किया जाने लगा।
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