अन्तर्राष्ट्रीय
बीमारियों से जूझ रहे नेपाल के भूकंप पीड़ित
काठमांडू। नेपाल में 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप में पीड़ित लोग तेजी से फैलने वाली कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं। सोमवार को जारी मीडिया रपट में यह जानकारी मिली। धाड़िग जिले के राई, टिपलिंग, सेरतुंग, झारलंग, लापा में बनाए गए शिविरों में रह रहे लोग और अन्य गांव विकास समितियों के लोग अतिसार, बुखार, निमोनिया, पेचिश और नेत्रशोथ जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि इन रोगों के लिए भूकंप पीड़ित अतिसंवेदनशील हैं क्योंकि ये लोग सामान्य शिविरों में रहते हैं और स्वच्छ जल, गर्म कपड़ों और उचित सफाई सुविधाओं तक इनकी कोई पहुंच नहीं होती। जिला लोक स्वास्थ्य कार्यालय (डीपीएचओ) अधिकारी ने कहा कि 500 से अधिक लोग अतिसार, निमोनिया और नेत्रशोथ की बीमारी से पीड़ित है। हालांकि, डीपीएचओ ने नेपाल की ‘हिमालयन हेल्थकेयर’ संस्था के साथ मिलकर क्षेत्र में स्वास्थ्य देखरेख इकाइयों की स्थापना की है। उन्होंने कहा कि अन्य प्रभावित क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य शिविरों की स्थापना की जाएगी। अधिकारी ने कहा कि हम क्षेत्र में कुछ अमेरिकी चिकित्सकों को भेजने की भी योजना बना रहे हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’
नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।
रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”
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