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राहुल का नया अवतार पार्टी की जिम्मेदारी संभालने का संकेत

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नई दिल्ली | राहुल गांधी अवकाश से लौटने के बाद जिस तरह से मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि राहुल अपनी प्रासंगिकता सिद्ध करने के लिए बेताब हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राहुल का नया रूप पार्टी के भीतर उनके नेतृत्व को साबित करने की उनकी कोशिश है। यह इस बात का भी संकेत है कि वह अब पार्टी की कमान अपने हाथ लेने के इच्छुक हैं।

पूर्व संपादक व सांसद बने एच.के.दुआ ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष की पदोन्नति कोई अप्रत्याशित नहीं है। वह आश्वस्त थे कि वह बहुत जल्द पार्टी प्रमुख बनेंगे। दुआ ने कहा, “वह संसद के भीतर और बाहर अधिक ऊर्जा दिखा रहे हैं और पार्टी में उनका नेतृत्व सुनिश्चित है। निंदा, नियंत्रित गुस्सा और मजाकिया लहजा वह सभी तरह के भावों का इजहार कर रहे हैं। सरकार किसानों के मुद्दों पर बचाव की मुद्रा में है।” कांग्रेस प्रवक्ता संजय झा ने कहा कि उनके नेता की वापसी से पार्टी में एक नई शक्ति और ऊर्जा का संचार हुआ है।

झा ने कहा, “पार्टी खुश और उत्साह में है और आगे बढ़ रही है। गांधी ने हवा का रुख मोड़ दिया है। अब कांग्रेस चारों ओर दिख रही है।” संसद के भीतर और बाहर राहुल पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी पर हमले कर रहे हैं। उनके ‘सूट बूट की सरकार’ के जुमले का जवाब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ‘सूझ बूझ की सरकार’ के तर्क से दिया था।  गांधी ने अवकाश के बाद 19 अप्रैल को पहली बार किसान-मजदूर रैली में सरकार पर खुलकर हमला बोला था। उन्होंने सरकार के भूमि अधिग्रहण विधेयक को किसान विरोधी करार दिया था।

राहुल ने पंजाब और महाराष्ट्र में सर्वाधिक आत्महत्या करने वाले क्षेत्रों का दौरा किया। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन की पूर्व अध्यक्ष रागिनी नायक ने कहा, “राहुल गांधी किसानों के इस आंदोलन के वैचारिक जनक थे। उन्होंने नियामगिरी और भट्टा पारसौल में इस अभियान का आगाज किया था।” राहुल ने सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए संशोधित रियल एस्टेट विधेयक को भी बिल्डर समर्थक बताया है। इसके साथ ही उन्होंने ‘इंटरनेट निरपेक्षता’ पर भी सरकार को घेरा था। राजनीतिक टिप्पणीकार अश्विनी के.राय ने कहा कि राहुल गांधी का नया अवतार देश के राजनीतिक समीकरण को बदल रहा है, जो इस बात का भी संकेत है कि पार्टी के नेतृत्व में जल्द ही बदलाव आने वाला है।

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रायबरेली में होगी अमेठी से भी बड़ी हार, बीजेपी का राहुल गांधी पर निशाना

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लखनऊ। कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी से उम्‍मीदवार कौन होगा? इसपर सस्‍पेंस खत्‍म कर दिया है। पार्टी ने शुक्रवार को नामांकन के आखि‍री द‍िन नई ल‍िस्‍ट जारी कर इन दोनों सीटों पर प्रत्‍याशि‍यों के नाम का एलान कर द‍िया है। कांग्रेस ने अमेठी से केएल शर्मा को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस की पारंपरिक सीट रायबरेली से खुद राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद भाजपा ने राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर निशाना साधा है।

उपमुख्मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘राहुल गांधी और गांधी परिवार में अमेठी-रायबरेली से चुनाव लड़ने का साहस नहीं हो रहा है, लेकिन किसी ने उन्हें (राहुल गांधी) समझाया होगा कि पिछली बार सोनिया गांधी इतने मतों से जीत गई थीं इसलिए आप अमेठी न जाकर रायबरेली चलिए। रायबरेली में राहुल गांधी की अमेठी से भी बड़ी पराजय होने जा रही है। हम ये दोनों सीटें तो बहुत बड़ें नंबर से जीतेंगे ही साथ ही उत्तर प्रदेश की 80 की 80 सीटें भी जीतेंगे’

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राहुल गांधी पहले अमेठी छोड़कर वायनाड भाग गए थे, अब वायनाड छोड़कर रायबरेली आ गए हैं, रायबरेली के लोग उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेंगे। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी पारी को लेकर जिस तरह का माहौल बना है, वही कारण है कि कांग्रेस पहले तो तय नहीं कर पा रही थी कि क्या करना चाहिए। पिछली बार राहुल गांधी अमेठी से हार कर केरल की तरफ भागे थे। अब वायनाड से हार की आशंका देखते हुए रायबरेली आ गए। उत्तर प्रदेश का माहौल मोदीमय हो चुका है। हम पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ने जा रहे हैं… रायबरेली की जनता भी उनका(राहुल गांधी) इंतजार कर रही है कि कांग्रेस ने पीएम मोदी के बारे में जो भी हल्की बातें कही हैं उसका हिसाब उन्हें देना पड़ेगा।’

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