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अन्तर्राष्ट्रीय

आम लोगों के लिए खोला गया अबू धाबी का पहला हिंदू मंदिर, पीएम मोदी ने किया था उद्घाटन

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नई दिल्ली। अबू धाबी में बनाए गए पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन बीचे महीने 14 फरवरी के दिन किया गया था। अब 1 मार्च से इस मंदिर को आम जनता के लिए खोल दिया गया है। मंदिर दुबई-अबू धाबी शेख जायद राजमार्ग पर अल राहबा के पास 27 एकड़ क्षेत्र में लगभग 700 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। मंदिर के लिए जमीन यूएई सरकार ने दान में दी है। अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है। इसी तरह अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया गया है।

मंदिर में स्वंयसेवक उमेश राजा के अनुसार, 20 हजार टन से अधिक चूना पत्थर के टुकड़ों को राजस्थान में तराशा गया और 700 कंटेनर में अबू धाबी लाया गया। बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘प्रतीक्षा समाप्त हुई! अबू धाबी मंदिर को अब सभी आगंतुकों और श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है।’’ इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि मंदिर सोमवार को छोड़कर सभी दिन सुबह नौ बजे से रात आठ बजे तक खुला रहेगा। बता दें कि इस मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही किया था।

दरअसल राम मंदिर उद्घाटन से कुछ ही दिन पूर्व उन्हें अबूधाबी में बने पहले हिंदू मंदिर के उद्घाटन का न्यौता मिला था। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि वो इस कार्यक्रम में शामिल होंगे और उद्घाटन करेंगे। इसके बाद बीते दिनों पीएम मोदी अबू धाबी पहुंचे और उन्होंने यहां अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया। बता दें कि यह मंदिर देखने में बेहद खास है, जिसका निर्माण नागर शैली में किया गया है। साथ ही इसमें लगाए गए मार्बल और पत्थरों को राजस्थान से मंगवाया गया था। ऐसे में इस मंदिर को अब श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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