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CAA पर अब 6 दिसंबर को सुनवाई, सरकार की याचिकाओं को खारिज करने की अपील

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर अब 6 दिसंबर को सुनवाई होगी। CJI (chief Judge of India) ने CAA मामले को उचित पीठ के समक्ष 6 दिसंबर को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। बता दें कि सीजेआई 7 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। सीजेआई ने सरकार को असम और त्रिपुरा के संबंध में दायर याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को समय दिया है।

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दो या तीन मामलों को प्रमुख मामले के तौर पर सुना जाएगा ताकि मामले पर सुनवाई आसानी से की जा सके। इससे पहले सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि कुल 232 याचिकाएं हैं। केंद्र ने जवाब दाखिल कर दिया है और हमें असम और त्रिपुरा की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय चाहिए। सीजीआई ने कहा कि ये मांग आखिरी मौके पर भी की गई थी।

हालांकि रविवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सीएए को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज करने की अपील करते हुए कहा कि इससे यह अवैध आव्रजन को बढ़ावा नहीं देता। बल्कि यह एक स्पष्ट कानून है जो केवल छह निर्दिष्ट समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है जो असम समेत देश में 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले आए थे। इस कानून से भविष्य में भी देश में विदेशियों का तांता लगने का खतरा नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ के समक्ष केवल सीएए के मुद्दे पर 31 अक्टूबर को 232 याचिकाएं सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, जिनमें ज्यादातर जनहित याचिकाएं हैं।

इससे पहले, जस्टिस ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि सीएए को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तीन न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाएगा। इस मुद्दे पर मुख्य याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) ने दायर की थी।

गृह मंत्रालय ने दाखिल किया 150 पेज का हलफनामा

केंद्रीय गृह मंत्रालय के दाखिल किए गए 150 पेज के हलफनामे में कहा गया कि संसद भारतीय संविधान के अनुच्छेद 245 (1) में प्रदत्त अधिकारों के तहत संपूर्ण भारत या उसके किसी भी हिस्से के लिए कानून बनाने में सक्षम है।

गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुमंत सिंह के दायर हलफनामे में सभी याचिकाओं को खारिज करने की अपील की गई है। सीएए-2019 से भारत में 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता प्राप्त करने की सुविधा मिलती है।

यह सुविधा भी उनके लिए ही है जिन्हें पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 और अन्य संगत प्रविधानों और फारेन एक्ट, 1946 के तहत केंद्र सरकार से छूट हासिल है।

याचिका दायर करने वालों में ये नाम शामिल

याचिका दायर करने वाले अन्य महत्वपूर्ण लोगों में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, राजद नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और एआइएमआइएम नेता असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं।

मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद, आल असम स्टूडेंट्स यूनियन, पीस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, गैर-सरकारी संगठन ‘रिहाई मंच’, अधिवक्ता एमएल शर्मा और कानून के छात्रों ने भी इस अधिनियम को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

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अफ्रीकन दिखते हैं दक्षिण भारत के लोग… सैम पित्रोदा के बयान पर मचा बवाल, बीजेपी ने बोला हमला

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नई दिल्ली। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने पूर्वोत्तर और दक्षिण भारतीय लोगों को लेकर ऐसा बयान दे दिया है जिसपर बवाल मच गया है। सैम पित्रोदा ने कहा कि पूर्वोत्तर में रहने वाले लोग चीन जैसे दिखते हैं और दक्षिण में रहने वाले अफ्रीकन जैसे। दरअसल, सैम पित्रोदा का एक वीडियो सामने आया है.जिसमें वह कह रहे हैं कि भारत जैसे विविधता वाले देश में सभी एक साथ रहते हैं. वीडियो में उन्हें कहते देखा जा सकता है। वह कहते हैं कि यहां पूर्वी भारत के लोग चीन के लोगों जैसे, पश्चिम भारत में रहने वाले अरब जैसे और दक्षिण में रहने वाले अफ्रीकी लोगों जैसे दिखते हैं। उन्होंने कहा कि बावजूद इसके फिर भी हम सभी मिल-जुलकर रहते हैं।

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के इस बयान पर बीजेपी की ओर से असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पलटवार किया। उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट से उनके वीडियो को रीट्वीट करते हुए लिखा, “सैम भाई, मैं नॉर्थ ईस्ट से हूं और भारतीय जैसा दिखता हूं। हम एक विविधतापूर्ण देश हैं-हम अलग दिख सकते हैं लेकिन हम सभी एक हैं। हमारे देश के बारे में थोड़ा तो समझ लो!”

सैम पित्रोदा के कुछ ही दिन पहले दिए गए विरासत टैक्स वाले बयान पर चुनाव के बीच बवाल मचा था वहीं अब एक बार फिर उनके बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। पिछले दिनों सैम पित्रोदा ने भारत में विरासत कर कानून की वकालत की था। धन के पुनर्वितरण की दिशा में नीति की आवश्यकता पर जोर देते हुए, पित्रोदा ने अमेरिका का हवाला दिया था। हालांकि कांग्रेस पार्टी ने इससे पल्ला झाड़ लिया था और इसे उनका निजी बयान बताया था।

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