Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

नहीं होगी मुलायम सिंह यादव की तेरहवीं, जानिये क्यों लिया गया यह निर्णय?

Published

on

mulayam singh yadav

Loading

लखनऊ।  समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (mulayam singh yadav ) मंगलवार को पंच तत्व में विलीन हो गए। आज परिवार के लोगों ने शुद्धिकरण संस्कार में भाग लिया लेकिन मुलायम सिंह यादव (mulayam singh yadav) की तेरहवीं के आयोजन को लेकर मना कर दिया।

आज सुबह अखिलेश पिता की अस्‍थ‍ियां लेने के गए और उसके बाद परिवार के साथ शुद्ध‍िकरण संस्‍कार में शामिल हुए। अस्थियां लेने के बाद अखिलेश यादव शुद्धिकरण संस्कार के लिए परिवार संग मुलायम सिंह यादव के भाई अभय राम यादव के घर पर पहुंचे।

यह भी पढ़ें

सैफई पहुंचा मुलायम सिंह का पार्थिव शरीर, उमड़ा लोगों का हुजूम; सीएम योगी भी मौजूद

फर्जी अंतरिक्ष यात्री बनकर शख्स ने लूटे 24 लाख रुपये, जानें पूरा मामला…

जहां अखिलेश यादव, बेटे अर्जुन यादव, प्रतीक यादव, शिवपाल यादव, धर्मेंद्र यादव व परिवार के अन्य लोगों ने मुंडन करवाया। नेताजी का पूरा परिवार भाई अभय राम सिंह, राजपाल सिंह, शिवपाल सिंह, रामगोपाल यादव भतीजे धर्मेंद्र यादव, कार्तिकेय यादव, अंकुर यादव, अंशुल यादव, प्रतीक यादव पुत्र, तेज प्रताप सिंह आदि मौजूद थे लेकिन ये बताया गया कि तेरहवीं नही की जायेगी।

परंपरा के अनुसार सैफई में तेरहवीं संस्कार नहीं होता है लिहाजा अंत्येष्टि के 11वें दिन बाद शुद्धिकरण यज्ञ का आयोजन होगा। सैफई और इसके आसपास के काफी बड़े क्षेत्र की परंपरा है कि तेरहवीं संस्कार यानि मृत्युभोज की परंपरा का बहिष्कार किया जाता है।

कहा जाता है कि इससे गरीब परिवार पर आर्थिक बोझ पड़ता है, लिहाजा आर्थिक रूप से मजबूत परिवार भी इसे नहीं करतें हैं ताकि समाज के अन्य लोगों को भी इसे करने के लिए बाध्य न होना पड़ा।

मृत्युभोज जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने का श्रेय mulayam singh yadav के मित्र राज्यसभा सांसद रहे बाबू दर्शन सिंह यादव को जाता है। बाबू दर्शन सिंह मुलायम सिंह के संघर्ष के दिनों में बतौर मित्र हमेशा साथ रहे।

दर्शन सिंह को नेता के साथ-साथ समाजसेवी के रूप में भी जाना जाता है। उन्होने केंद्रीय समाज सेवा समिति का गठन किया था। उन्होंने इसके माध्यम से सबसे पहले इटावा-मैनपुरी, कन्नौज समेत कई जनपदों में दहेज, मृत्यु उपरांत भोज और नशा का खुलकर विरोध किया।

उन्होंने तेरहवीं के स्थान पर शांति पाठ कराने का प्रयास किया। काफी संघर्ष के बाद उनकी पहल रंग लाई और इटावा समेत कई जनपदों में लोगों ने मृत्यु उपरांत भोज के स्थान पर शांति पाठ कराना शुरू किया। वे खुद भी शांति पाठ कराने जाते थे।

बाबू दर्शन सिंह यादव ने केंद्रीय समाज सुधार समिति के जरिए उप्र, मप्र और दिल्ली के जिलों में मृत्युभोज के खिलाफ अलख जगाई । उन्होंने तेरहवीं पर मृत्युभोज न करने का यादव समाज के बीच अभियान छेड़ा। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सुधार में अर्पण कर दिया था।

mulayam singh yadav, mulayam singh yadav death, mulayam singh yadav news,

नेशनल

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

Published

on

Loading

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता व ग्वालियर राज घराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया का निधन हो गया है। उनका इलाज पिछले दो महीनों से दिल्ली के एम्स में चल रहा था। आज सुबह 9.28 बजे उन्होंने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली।

हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया था कि, राजमाता माधवी राजे को सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें 15 फरवरी को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। इसी साल 6 मार्च को भी उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। उस समय भी उनकी हालत नाजुक थी और उनको लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम पर रखा गया था।

पहली बार 15 फरवरी को माधवी राजे की तबीयत बिगड़ी थी, उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसके बाद से ही उनकी हालत नाजुक बनी हुई थे। वे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कुछ समय पहले यह जानकारी शेयर की थी।

नेपाल राजघराने से माधवीराजे सिंधिया का संबंध है। उनके दादा शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के प्रधानमंत्री थे। कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया के साथ माधवी राजे के विवाह से पहले प्रिंसेस किरण राज्यलक्ष्मी देवी उनका नाम था। साल 1966 में माधवराव सिंधिया के साथ उनका विवाह हुआ था। मराठी परंपरा के मुताबिक शादी के बाद उनका नाम बदलकर माधवीराजे सिंधिया रखा गया था। पहले वे महारानी थीं, लेकिन 30 सितंबर 2001 को उनके पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के निधन के बाद से उन्हें राजमाता के नाम से संबोधित किया जाने लगा।

Continue Reading

Trending