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कांग्रेस से ‘आज़ाद’ हुए गुलाम नबी, राहुल को बताया पार्टी की दुर्दशा का जिम्मेदार
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से अपना सभी नाता तोड़ लिया है। कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफा देते हुए उन्होंने 5 पन्नों का एक लंबा पत्र सोनिया गांधी को लिखकर अपनी नाराजगी भी जाहिर की है।
कांग्रेस से 51 साल पुराना नाता तोड़ते हुए गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी पर सीधा हमला बोला। गुलाम नबी आजाद ने इंदिरा गांधी से लेकर अब तक के दौर को याद दिलाते हुए सोनिया गांधी से कहा कि आपकी अध्यक्षता में पार्टी अच्छे से काम कर रही थी और सबसे मशविरा लिया जाता था। आजाद ने कहा कि कांग्रेस की यह व्यवस्था राहुल गांधी की 2013 में एंट्री के बाद खत्म होती चली गई।
राहुल गांधी के आने के बाद चापलूस दरबारियों को कमान
गुलाम नबी आजाद ने लिखा, ‘दुर्भाग्य से राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री के बाद और खासतौर पर जनवरी 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनने के बाद सलाह-मशविरे के साथ चलने की जो परंपरा थी, वह ध्वस्त हो गई।’ आजाद ने कहा कि राहुल गांधी के आने के बाद सारे वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को किनारे लगा दिया गया। उनकी जगह गैर-अनुभवी और चापलूस दरबारियों ने ले ली। यही नहीं इन्हीं लोगों के हाथों में पार्टी के मामलों की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई।
उन्होंने कहा इस अपरिपक्वता का बड़ा उदाहरण वह था, जब राहुल गांधी ने मीडिया की मौजूदगी में सरकार के अध्यादेश को ही फाड़ दिया। उस अध्यादेश पर कांग्रेस के कोर ग्रुप में चर्चा हुई थी और कैबिनेट से मंजूरी भी दी गई थी। ऐसे बचकाना व्यवहार ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार की गरिमा को ही कमजोर कर दिया था।
उन्होंने 2014 में कांग्रेस की हार के लिए भी राहुल गांधी के अध्यादेश फाड़ने को ही जिम्मेदार ठहराया। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि तमाम मामलों से अलग यह एक ही वाकया हार की वजह बन गया।
बता दें कि गुलाम नबी आजाद ने पिछले दिनों ही जम्मू-कश्मीर की कैंपेन कमेटी और राजनीतिक मामलों की समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा था कि मैं 37 सालों तक कांग्रेस का महासचिव रहा हूं और मुझे इस तरह प्रदेश में जिम्मेदारी देना डिमोशन करने जैसा है। उसके बाद से ही गुलाम नबी आजाद के भविष्य को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे।
इंदिरा, राजीव तक के रिश्तों का दिया हवाला
सोनिया गांधी को लिखे पत्र में गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से अपने रिश्ते और गांधी परिवार की कई पीढ़ियों के साथ काम करने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैंने आपके दिवंगत पति राजीव गांधी, इंदिरा गांधी, संजय गांधी के साथ काम किया था।
आधी सदी से ज्यादा का वक्त मैंने कांग्रेस को दिया है, लेकिन अब बेहद भारी मन से मैं कांग्रेस के सभी पदों से तत्काल इस्तीफा देता हूं और पार्टी से भी अपने संबंध समाप्त कर रहा हूं। बता दें कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस पार्टी से नाराज बताए जाने वाले जी-23 समूह के सबसे सीनियर नेता थे।
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पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे
श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।
नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।
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