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मुख्य समाचार

कर्नाटक सरकार का फैसला, अब NIA करेगा प्रवीण नेट्टारू हत्याकांड की जांच

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मुंबई। कर्नाटक सरकार ने भाजपा युवा मोर्चा कार्यकर्ता प्रवीण नेट्टारू हत्याकांड मामले को NIA को सौंपने का फैसला किया है। हत्या के बाद राज्य में मचे बवाल के चलते मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मामले की एनआईए जांच कराने का फैसला किया है। हत्या के विरोध में आज बेल्लारे, पुत्तूर, सुल्या, कड़ाबा में बंद रखा गया था। हिंदू संगठनों ने हत्या में पीएफआई और एसडीपीआई का हाथ होने का शक जताया था।

केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने आरोप लगाया था कि केरल सरकार पीएफआई और एसडीपीआई जैसे संगठनों को बढ़ावा दे रही है। कर्नाटक में कांग्रेस इन्हें प्रोत्साहित कर रही है। हमारी राज्य सरकार इन्हें काबू में करेगी दोषियों पर कार्रवाई होगी। आरंभिक रिपोर्ट व कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि हत्या के पीछे पीएफआई व एसडीपीआई का हाथ है।

हत्या का उदयपुर कनेक्शन

एक मीडिया रिपोर्ट में हत्या का उदयपुर कनेक्शन होने का भी दावा किया जा रहा है। कहा गया है कि नेट्टारू ने उदयपुर के टेलर कन्हैया लाल की हत्या के विरोध में 29 जून को सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी थी। इसमें एक फोटो भी साझा किया गया था। इसमें कहा गया था कि सिर्फ राष्ट्रवादी विचारधारा का समर्थन करने के कारण एक टेलर की गला काटकर हत्या कर दी गई।

मंगलवार रात हुई थी हत्या, कुल्हाड़ी व तलवार से किए वार

बता दें, कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ता प्रवीण नेट्टारू की अज्ञात हमलावरों ने मंगलवार रात हत्या कर दी थी। नेट्टारू भाजपा युवा मोर्चा के जिला सचिव थे। जानकारी के मुताबिक नेट्टारू मंगलवार की रात अपनी दुकान बंद कर रहे थे तभी बाइक पर आए अज्ञात हमलावरों ने उन पर कुल्हाड़ी और तलवार से हमला किया। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए और अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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