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प्रादेशिक

सरोजिनी नगर से दुकानों को हटाने की तैयारी, उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शुरू प्रक्रिया

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उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, एनडीएमसी और पुलिस सरोजिनी नगर बाजार से “अवैध अतिक्रमण” को हटाने की प्रक्रिया कर रहे हैं। एनडीएमसी के एक अधिकारी ने कहा कि प्रक्रिया सितंबर के मध्य में शुरू हुई और जारी है। कई वेंडरों को दुकान लगाने की इजाजत नहीं दी गई है जबकि फेरीवालों को जाने को कहा जा रहा है।

फरीवालों को हटाया जाएगा

मंगलवार की दोपहर बाजार चहल-पहल से गुलजार रहा। लगभग 450 दुकानदारों को अधिकृत किया गया है और 150 ‘पथरियों’ को बाजार के अंदर सामान बेचने की अनुमति है। फेरीवालों और विक्रेताओं की वास्तविक संख्या अधिक है। द हॉकर्स सुरक्षा फाउंडेशन ऑल इंडिया के सचिव (दिल्ली) विजय रूहेला ने कहा कि ‘कानून के अनुसार टाउन वेंडिंग कमेटी बनाई जानी चाहिए, जिसे यह आकलन करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी कि कौन अधिकृत है, और बेदखली से पहले एक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।’

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दिल्ली स्ट्रीट वेंडर्स (प्रोटेक्शन ऑफ लाइवलीहुड एंड रेगुलेशन ऑफ स्ट्रीट वेंडिंग) रूल्स, 2017, जो ‘स्ट्रीट वेंडर को बेदखल करने का तरीका’ निर्धारित करता है, कहता है, ‘किसी भी स्ट्रीट वेंडर को बिना पूर्व सूचना के वेंडिंग साइट से बेदखल नहीं किया जाना चाहिए। पंजीकरण प्रक्रिया और पुनर्वास योजना तैयार करना।’

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गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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