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अन्तर्राष्ट्रीय

काबुल के इकलौते पुजारी ने किया मंदिर छोड़ने से इनकार, कहा-अंतिम सांस तक रहूंगा

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नई दिल्ली। अफगानिस्तान में ताबिलान ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। काबुल में घुसने के बाद तालिबान की ओर से इसकी घोषणा कर दी गई। तालिबानियों द्वारा देश पर फिर से कब्जे के बाद राजधानी काबुल से बड़ी संख्या में लोगों का पलायन शुरू हो गया है।

इस बीच राजधानी के इकलौते पुजारी पंडित राजेश कुमार ने रतन नाथ मंदिर को छोड़ने से इनकार कर दिया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान की राष्ट्रीय राजधानी काबुल स्थित रतन नाथ मंदिर के पुजारी पंडित राजेश कुमार ने अपनी जान बचाने के लिए शहर छोड़कर भागने से इनकार कर दिया है।

राजेश कुमार का कहना है कि उन्हें कई हिंदुओं ने काबुल छोड़ने के लिए कहा। वह पुजारी के रहने, खाने और यात्रा की व्यवस्था भी करने की पेशकश कर रहे थे लेकिन राजेश कुमार ने उनके साथ जाने से इनकार कर दिया।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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