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प्रादेशिक

सिद्धार्थनाथ सिंह का अखिलेश पर पलटवार- सरकारी अस्पतालों में ब्लैक फंगस का हो रहा है मुफ्त इलाज, ट्विटर से बाहर निकलें

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लखनऊ। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर गुरुवार को जमकर निशाना साधा। सपा अध्‍यक्ष के ट्वीट का जवाब देते हुए सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि बयानबाजी करने से पहले अखिलेश यादव को कम से कम बे‍सिक जानकारी तो कर लेनी चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि भ्रष्‍टाचार में डूबी सपा सरकार के मुखिया रहे अखिलेश यादव को यह जानकारी भी नहीं है कि राज्‍य के सरकारी अस्‍पतालों में ब्‍लैक फैंगस के मरीजों का मुफ्त इलाज किया जा रहा है।

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की अगुआई वाली सरकार ब्‍लैक फंगस के मरीजों को इलाज की हर सुविधा उपलब्‍ध करवा रही है। कोविड कमांड सेंटर से निजी अस्‍पतालों में भेजे गए मरीजों के इलाज के खर्च का योगी सरकार लगातार भुगतान कर रही है। सरकार जनता के बीच जा कर काम कर रही है।

अखिलेश यादव घर में एसी कमरों में बैठ कर ट्वीट कर रहे हैं। उन्‍हें बाहर निकल कर प्रदेश की जनता के लिए योगी सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानना चाहिए। उन्‍हें देखना चाहिए कि किस तरह से योगी सरकार की योजनाओं का लाभ सीधे जनता तक पहुंच रहा है। सपा सरकार में काबिज बिचौलियों और दलालों का नेटवर्क ध्‍वस्‍त हो चुका है। प्रदेश का विकास और जनता को मिल रही सुविधाओं से अखिलेश यादव और उनका कुनबा परेशान है।

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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