प्रादेशिक
जेल में बंद कैदियों पर कोरोना का खतरा, ट्विटर पर पर मिला भरपूर समर्थन
नई दिल्ली। बीते दिनों #IndiaAwaitsJustice हैशटैग ने ट्विटर पर काफी सुर्खियां बटोरी। इसके तहत जेल में बंद उन कैदियों के लिए आवाज़ उठाई गई जो कोरोनाकाल जेल में बंद हैं। इनमें बड़ी संख्या में अंडरट्रायल हैं। उनपर पर कोरोना से ग्रसित होने का ख़तरा मंडरा रहा है। बता दें कि इस समय पूरे भारत में कोरोना ने कोहराम मचाया हुआ है। मौतें इतनी कि शमशान फुल हो गए हैं। अंतिम संस्कार के लिए भी वेटिंग है। अब तो ये खतरा गांवों में भी पहुंच गया है। कई गांवों से लोगों की मौत की खबरें आ रही हैं। इन सबके बीच देश की जेलों में भी कोरोना का खौफ पसरा हुआ है। अगर देश की जेलों में कोरोना पहुंचा तो वहां लाशों की गिनती करना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि एक-एक जेल में क्षमता से ज्यादा कैदी भरे हुए हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना तो जेलों में मजाक है। ऐसे में देश की जेलों में बंद कैदियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
आपको बता दें कि भारत की जेलों में बंद कुल कैदियों में से दो तिहाई बिना दोष सिद्ध हुए ही कैद में हैं। यानी वो अंडरट्रायल या विचाराधीन कैदी हैं। विचाराध कैदी वो होते हैं जिन्हें कैद में रखा गया है। मगर उनका अपराध अभी सिद्ध नहीं हुआ है। औसत निकालें तो ये तादाद 69 फीसदी है। ऐसे में आप सोचिए कि कोई व्यक्ति निर्दोष होते हुए भी सिस्टम के दिए हुए कोरोना की मौत मर जाए तो ये उसके साथ कितनी नाइंसाफी होगी। जेल में बंद कैदियों का भी उतना ही मानवाधिकार है जितना आपका और मेरा। उनको भी बचाना जरुरी है। उन्हें हम ऐसे ही कोरोना की मौत मरता नहीं देख सकते।
बुरी खबर ये है कि जेलों में बंद कैदियों में कोरोना का संक्रमण बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। दिल्ली मुंबई की जेलों में जहां बड़े बड़े कैदी बंद हैं, वहां कोरोना से बुरा हाल है। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली और महाराष्ट्र में अबतक हज़ारों कैदी कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं और इनमें कई दर्जन कैदियों की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में सवाल उतना लाजमी है कि आखिर इन कैदियों की मदद कौन करेगा जबकि इनमें से आधे से ज्यादा का अपराध तक सिद्ध नहीं हुआ है।
उत्तर प्रदेश
नोएडा: गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी की पानी की टंकी में मिली महिला का लाश, पुलिस को पति पर हत्या का शक
नोएडा उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के गौतमबुद्ध नगर विश्वविद्यालय की पानी की टंकी में एक महिला का शव मिलने से सनसनी फ़ैल गई है। मौके पर पहुंची पुलिस टीम जांच में जुटी हुई है। शुरुआती जानकारी से पता चला है कि महिला का पति फरार है, जो विश्वविद्यालय के बगल में ही बने सरकारी अस्पताल जिम्स का कर्मचारी बताया जा रहा है। पुलिस को संदेह है कि पति ने ही पत्नी को मौत के घाट उतारा है।
कोतवाली ईकोटेक-1 क्षेत्र के गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय परिसर में राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान के कर्मचारियों का स्टाफ क्वार्टर है। उसी में रहने वाले ड्राइवर की पत्नी का शव मिला है। सोमवार देर रात करीब 11 बजे के आस-पास बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर बनी सीमेंट की पानी की टंकी के अंदर मिला है। आसपास के लोगों ने पुलिस को बताया कि दो महीने पहले ही दंपती यहां पर रहने के लिए आए थे। आशंका जताई जा रही है कि महिला की हत्या करने के बाद शव को पानी की टंकी में फेंक दिया गया। पुलिस आरोपी की तलाश कर रही है।
एडिशनल पुलिस कमिश्नर (लॉ एंड आर्डर) शिवहरि मीणा ने बताया कि गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय की छत पर बने सीमेंटेड पानी के टैंक एक महिला का शव मिलने की सूचना प्राप्त हुई। महिला का पति विश्वविद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। पड़ोसियों ने बताया कि रात में पति-पत्नी के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था। वे अक्सर आपस में झगड़ते रहते थे। महिला का पति मौके से फरार है।
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