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नेशनल

‘हंसराज हंस दलित नहीं मुस्लिम हैं’

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उत्तर पश्चिमी दिल्ली से उम्मीदवार हंसराज हंस के धर्म को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) ने सवाल खड़े किए हैं।

आप ने भाजपा प्रत्याशी को मुसलमान बताते हुए कहा कि यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है इस लिए हंस राज का नामांकन रद कर दिया जाना चाहिए।

आप ने इस मुद्दे को लेकर कोर्ट जाने की भी बात कही है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने गुरुवार को हंसराज हंस पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली की उत्तर पश्चिमी लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है लेकिन बीजेपी ने जो अपना प्रत्याशी उतारा है वह अनुसूचित जाति का है ही नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि नामांकन पत्र में बीजेपी के प्रत्याशी द्वारा कुछ जानकारियां छुपाई गई हैं।

राजेंद्र पाल गौतम के मुताबिक बीजेपी के प्रत्याशी हंस राज हंस 20 फरवरी 2014 को धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल कर चुके हैं। धर्म परिवर्तन के बाद हंस राज हंस ने अपना नाम मोहम्मद यूसुफ रख लिया है।

राजेंद्र पाल गौतम ने कहा क्योंकि बीजेपी के प्रत्याशी पूर्व में ही धर्म परिवर्तन कर चुके हैं तो अब वह एससी समुदाय के नहीं माने जा सकते। क्योंकि उत्तर पश्चिम सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है तो बीजेपी के वर्तमान में जो प्रत्याशी हैं, वह उस सीट से चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

नेशनल

कैंसर से जूझ रहे सीपीआई नेता अतुल कुमार अंजान का निधन, लखनऊ के अस्पताल में ली अंतिम सांस

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लखनऊ। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान का शुक्रवार को निधन हो गया। वो लखनऊ के मेयो अस्पताल में भर्ती थे जहां उनका काफी समय से कैंसर का इलाज चल रहा था। उनकी हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी। शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।

बता दें कि अतुल अंजान ने अपना राजनीतिक सफर 1977 में शुरू किया था। वह सबसे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे। वह सबसे प्रतिभाशील और सक्रिय कम्युनिस्ट नेताओं में से एक थे।

वह टीवी डिबेट में और कई दूसरे राजनीतिक कार्यक्रमों में लगातार पार्टी का प्रतिनिधित्व करते थे। अपनी राजनीति का लोहा इन्होंने कॉलेज के दिनों से ही मनवा लिया था। छात्र राजनीति में इनके कद का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अतुल कुमार अंजान 20 साल की उम्र में नेशनल कॉलेज स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष बन गए थे। अतुल कुमार लगातार चार बार लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. यूनिवर्सिटी के समय से ही वह लेफ्ट की विचारधारा पर चलते थे।

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