आध्यात्म
साल 2019 का पहला सूर्यग्रहण होगा 6 जनवरी को, इन राशि पर पड़ेगा खास असर
इस साल आपको सूर्यग्रहण इस महीने के पहले ही हफ्ते में ही देखने को मिलेगा। रविवार 6 जनवरी को आंशिक सूर्य ग्रहण होने वाला है। हालांकि यह सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। बता दें कि ये ग्रहण उत्तर-पूर्वी चीन, जापान और पूर्वी रूस तथा प्रशान्त महासागर में दिखाई देगा। सूर्यग्रहण का असर विशेष तौर पर इन राशियों पर होगा, आइए जानते हैं इन राशियों के बारे में –
मेष राशि – मेष राशि के लिए भी यह काफी महत्वपूर्ण है। मार्गी हर्शल आपके पहले स्थान पर गोचर करेगा। इस गोचर से अपके जीवन में अचानक से आपकी तरक्की हो सकती है। भले ही बीच-बीच में कुछ छोटी-मोटी परेशानियां आएं, लेकिन आपको अपने कार्यों में सफलता जरूर मिलेगी। साथ ही स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। मानसिक रूप से मजबूती मिलेगी।
वृष राशि – इस राशि के लिए भी यह काफी हद तक सही रहेगा। मार्गी हर्शल आपके बारहवें स्थान पर गोचर करेगा। गोचर से आप अपनी जीवनशैली को सुधारने के लिए अपने ऊपर कुछ खर्चा कर सकते हैं। इस दौरान आपको कुछ यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। आपका गृहस्थ जीवन और स्वास्थ्य ठीक रहेगा। शरीर के साथ ही मानसिक रूप से भी आप अच्छा महसूस करेंगे।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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