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अन्तर्राष्ट्रीय

ईरान के साथ परमाणु समझौते को लेकर अमेरिका आशान्वित

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वाशिंगटन| ईरान के विवादित परमाणु कार्यक्रम पर एक व्यापक समझौते की रूपरेखा पर बनी सहमति के एक दिन बाद शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन ने तीन महीनों के अंदर अंतिम समझौते तक पहुंचने की उम्मीद जताई। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता एरिक शुल्त्ज ने संवाददाताओं से कहा, “मुझे लगता है कि अभी बहुत सारा काम बाकी है, लेकिन हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि अंतिम समझौते तक पहुंचेंगे।”

पी5 प्लस1 समूह (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन व जर्मनी) के विदेश मंत्रियों के बीच गुरुवार को ईरान के विवादित परमाणु कार्यक्रम से संबंधित बड़े मुद्दों के समाधान के मानकों पर सहमति बनी। यह सहमति स्विट्जरलैंड के शहर लुसाने में आठ दिनों तक चली गहन वार्ता के बाद बन पाई। अब जून के आखिर तक समझौते को अंतिम रूप दिया जाना है।

समझौते की रूपरेखा पर बनी सहमति के तहत ईरान अपनी परमाणु गतिविधियों को सीमित करने तथा परमाणु संयंत्रों के नियमित निरीक्षण के लिए सहमत हो गया है। इसके बदले में अमेरिका तथा यूरोपीय संघ ईरान की अर्थव्यवस्था पर लगे प्रतिबंधों को हटा लेंगे। साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा ईरान के खिलाफ मंजूर प्रस्तावों को भी हटाया जाएगा।

ओबामा ने समझौते की रूपरेखा को बेहतर बताया और कहा कि इससे अमेरिका के मूल उद्देश्य पूरे होंगे और ईरान परमाणु हथियार विकसित नहीं कर पाएगा।

वहीं, ईरान के साथ समझौता वार्ता का घोर विरोध करने वाले इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू ने गुरुवार को ओबामा से टेलीफोन पर बातचीत में कहा कि समझौते की जिस रूपरेखा पर सहमति बनी है, वह इजरायल के साथ-साथ क्षेत्र और पूरी दुनिया के लिए भी गंभीर खतरा है। इससे इजरायल के अस्तित्व पर खतरा होगा।

नेतन्याहू ने शुक्रवार को कहा, “इजरायल की मांग है कि ईरान के साथ किसी भी अंतिम समझौते में इजरायल के अस्तित्व के अधिकार को लेकर ईरान की स्पष्ट प्रतिबद्धता शामिल हो।”

शुल्त्ज ने कहा, “मैंने उनकी अपील नहीं देखी है। हम उनकी चिंता को समझते हैं और राष्ट्रपति ऐसे किसी समझौते पर कभी हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जो इजरायल के अस्तित्व को खतरे में डालता हो।”

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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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