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अन्तर्राष्ट्रीय

आखिरकार मुकेश अंबानी ने चीन से 1962 की हार का बदला ले ही लिया

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मुंबई। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी अलीबाबा समूह के संस्थापक जैक मा को पीछे छोड़ते हुए एशिया के सबसे अमीर शख्स बन गए हैं। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्श के अनुसार, शुक्रवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज की कुल संपत्ति 44.3 अरब डॉलर आंकी गई है। जबकि जैक मा की कुल संपत्ति 44 अरब डॉलर आंकी गई है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज की ट्रेडिंग 1.7 प्रतिशत बढ़ गई। इस साल अंबानी की संपत्ति में कुल चार अरब डॉलर की वृद्धि हुई है। अंबानी की इस सफलता के पीछे सबसे बड़ी भूमिका रिलायंस जियो की मानी जा रही है, जिसे उन्होंने पिछले साल लांच किया था। उधर, जैक मा के अलीबाबा समूह को इस साल 1.4 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।

रिपोर्ट के रिलायंस की ओर से अपनी पेट्रोकैमिकल्स क्षमता दोगुनी करने का लाभ मुकेश अंबानी को मिला है। ध्यान रहे कि इस साल मुकेश अंबानी ने अपने समूह के एजीएम में बताया था कि साल 2025 तक रिलायंस दोगुना हो जाएगा। उन्होंने रिलायंस जियो गीगा फाइबर लांच करने का भी एलान किया था।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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