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बिजनेस

ओपेक बैठक 22 जून को, कच्चे तेल उत्पादन को बढ़ाने के प्रस्ताव पर मतभेद, ईरान असहमत

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पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) की बैठक और उसके संबद्ध उत्पादकों की बैठक 22 जून को वियना में होगी। पर उससे पहले ही ईरान ने कहा कि ओपेक कच्चे तेल उत्पादन को बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोधी है। वहीं ओपेक की बैठक अभी शुरू नहीं हुई है उससे पहले ही तेल की कीमतों में गिरावट आ गई।

ओपेक में ईरान के प्रतिनिधि ने मंगलवार को बताया कि ईरान ने पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के कच्चे तेल के उत्पादन को बढ़ाने के सऊदी अरब के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगा।

तेहरान टाइम्स ने ईरान के प्रतिनिधि हुसैन कजेमपोर अर्देबिली के हवाले से कहा कि ईरान 22 जून को वियना में ओपेक की बैठक में वेनेजुएला और इराक के साथ मिलकर सऊदी अरब के इस प्रस्ताव पर वीटो करने जा रहा है। अर्देबिली ने कहा, “यदि रूस भी अपना उत्पादन बढ़ाता है तो यह सहयोग समझौते का उल्लंघन होगा।”

ओपेक सदस्य बैठक में तेल बाजार में संतुलन लाने के लिए ओपेक और गैर ओपेक समझौते को खत्म करने और तेल की कीमतों को बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। पिछले साल ओपेक सदस्य 12 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) से 3.25 करोड़ बीपीडी तक तेल उत्पादन में कटौती कर तेल कीमत प्रति बैरल 60 अमेरिकी डॉलर पर रखने के लिए सर्वसम्मति से सहमत हुए थे।

ओपेक की बैठक से पहले तेल की कीमतों में गिरावट

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) की बैठक से पहले मंगलवार को तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, न्यूयॉर्क मर्केटाइल एक्सचेंज में वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट पर तेल की कीमत 0.78 डॉलर घटकर 65.07 डॉलर प्रति बैरल रही जबकि लंदन आईसीई फ्यूचर्स एक्सचेंज पर ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.26 डॉलर घटकर 75.08 डॉलर प्रति बैरल रही।

भारत के केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ओपेक देशों की बैठक में शामिल होने के लिए वियना जाएंगे। प्रधान ने कहा, ‘बैठक के दौरान कच्चे तेल की बढ़ रही कीमतों को लेकर मैं अपनी बात रखुंगा। इस बैठक में भारत भी शामिल होगा। हमलोग अपनी स्थितियों के बारे में उन्हें अवगत करवाएंगे।’

ओपेक क्या है:—

ओपेक पेट्रोलियम उत्पादक 14 देशों का एक संगठन है। इसमें अल्जीरिया, अंगोला, ईक्वाडोर, इरान, ईराक, कुवैत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, नाइजीरिया, लीबिया तथा वेनेजुएला, गैबन, इक्वेटोरियल गिनी शामिल है। साल 1960 से ही इस संगठन का मुख्यालय वियना में है जहां सदस्य देशों के तेल मंत्रियों की समय-समय पर बैठक होती है। (इनपुट आईएएनएस)

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Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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