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मुख्य समाचार

येदियुरप्पा बस थोड़ी देर में साबित करेंगे बहुमत, पर सवाल कहां गुम हो गए कांग्रेस के ये दो विधायक

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कर्नाटक विधानसभा में नए मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा को ठीक चार बजे अपना बहुमत सिद्ध करना है। विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष के.जी. बोपैया सदन की कार्यवाही का संचालन कर रहे हैं। बस सवाल यह है कि कांग्रेस के वो दो विधायक आनन्द सिंह व प्रताप गौड़ा पाटिल ने अभी तक विधानसभा नहीं पहुंचें हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस और जेडी(एस) की याचिका पर फैसला देते हुए येदियुरप्पा को शनिवार चार बजे बहुमत साबित करने का आदेश दिया था।

कर्नाटक में 12 मई को हुए चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। भाजपा ने सर्वाधिक 104 सीटें जीती थीं। कांग्रेस ने 78 और जेडी(एस) ने 37 सीटें जीती हैं। येदियुरप्पा को विश्वास मत जीतने के लिए 112 वोटों की जरूरत है। राज्य में 104 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

जेडी(एस) के कुमारस्वामी दोनों सीटों चन्नपटना और रामनगरा से जीते हैं। इस तरह जेडी (एस) के पास कुल 36 सीटें हैं, क्योंकि कुमारस्वामी सिर्फ एक बार ही वोट कर सकते हैं। कांग्रेस के इन दोनों विधायक आनन्द सिंह व प्रताप गौड़ा पाटिल के इर्दगिर्द घूम रहा है सवाल, कहां हैं ये दोनों।

सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता व कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने शनिवार को कहा कि कर्नाटक विधानसभा में बहुमत परीक्षण के दौरान सीधा प्रसारण किए जाने से विश्वास मत पारदर्शी होगा। सर्वोच्च न्यायालय के बाहर मीडिया से बात करते हुए सिंघवी ने कहा, “हमारे आवेदन का पहला और मूल प्रयोजन विश्वास मत के लिए पारदर्शी मानदंड स्थापित करना है और कुछ स्थानीय चैनलों पर इसके सीधा प्रसारण से यह सुनिश्चित किया जाएगा।”

कर्नाटक सचिवालय किले में तब्दील

कर्नाटक में शनिवार को हो रहे महत्वपूर्ण बहुमत परीक्षण से पहले कर्नाटक सचिवालय की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और यहां अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। पुलिस महानिदेशक नीलमणि राजू ने यहां कहा, “विधानसभा में बहुमत परीक्षण की कार्यवाही सुचारु रूप से हो, इसके लिए सचिवालय और आस-पास के विधायक आवासों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।”

शहर पुलिस ने यहां धारा 144 लगा दी है और पूरे दिन के लिए कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सचिवालय के एक किलोमीटर के दायरे में पांच या इससे ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी है।

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त बी.के.सिंह ने इससे पहले पत्रकारों से कहा, “हमने किसी भी अवांछित घटना से बचने के लिए बहुमत परीक्षण स्थल के आसपास पांच पुलिस उपायुक्तों(डीसीपी), 20 सहायक पुलिस आयुक्तों(एसीपी), 40 निरीक्षकों और 2000 सिपाहियों को तैनात कर रखा है।”

पुलिस ने क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा), कांग्रेस और जनता दल (सेकुलर) के समर्थकों और कार्यकर्ताओं को जुलूस या रैली निकालने पर भी प्रतिबंध लगाया है। (इनपुट आईएएनएस)

नेशनल

इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति ने वापस लिया नामांकन, बीजेपी में होंगे शामिल

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इंदौर। लोकसभा चुनाव से पहले ही इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। अक्षय कांति के इस फैसले फैसले से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कलेक्टर कार्यालय में जाकर बीजेपी के उम्मीदवार शंकर लालवानी के सामने उन्होंने अपना पर्चा वापस लिया। इस दौरान बीजेपी के नेता रमेश मेंदोला भी साथ थे। इसके बाद में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मेंदोला के साथ भाजपा कार्यालय के लिए रवाना हो गए। माना जा रहा है कि बम भाजपा की सदस्‍यता लेंगे।

इंदौर कैलाश विजयवर्गीय का गढ़ माना जाता है। विजयवर्गीय इंदौर 1 से विधायक हैं। उन्होंने एक्स पर अक्षय कांति बम की तस्वीर के साथ लिखा, ”इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम जी का माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी में स्वागत है।”

इसके बाद इंदौर सीट पर अब भाजपा के लिए मैदान लगभग साफ हो गया है, उसके सामने निर्दलीय और अन्य दलों के अलावा कोई प्रत्याशी नहीं बचा। नामांकन वापस लेने के बाद अक्षय कांति बम ने कहा कि जब से उन्होंने नामांकन जमा किया था, तब से ही कांग्रेस की ओर से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा था। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि फॉर्म भरने के बाद से ही कांग्रेस अक्षय कांति पर दबाव बना रही थी।

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