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अन्तर्राष्ट्रीय

भारत, म्यांमार के बीच सात समझौतों पर हस्ताक्षर

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भारत, म्यांमार के बीच 7 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इस सात समझौतों में एक जमीनी सीमा पार करने, बागान में भूकंप से क्षतिग्रस्त पैगोडा के संरक्षण के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू), संयुक्त संघर्षविराम निगरानी समिति की सहायता, म्यांमार के विदेश सेवा अधिकारियों को प्रशिक्षण, मोन्यवा में एक औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र (आईटीसी) की स्थापना और थाटो में आईटीसी व आईटीसी मिग्यान के रखरखाव ठेके के विस्तार के लिए पत्रों का आदान-प्रदान किया गया।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के दो दिवसीय म्यांमार दौरे में भारत व म्यांमार ने विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। यह दो दिवसीय दौरा शुक्रवार को समाप्त हुआ। इस दौरे के दौरान सुषमा स्वराज ने म्यांमार के राष्ट्रपति यू विन मिंत, स्टेट काउंसलर व विदेश मंत्री आग सान सू की और म्यांमार डिफेंस फोर्सेज के कमांडर इन चीफ वरिष्ठ जनरल मिन आंग हॉलिंग से मुलाकात की।

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, द्विपक्षीय बैठकों के दौरान सीमा व सीमा से जुड़े मुद्दों, शांति व सुरक्षा मामलों, रखाइन राज्य में विकास सहित विस्थापित रोहिंग्या लोगों की वापसी, म्यांमार के विकास में भारत की सहायता, जारी परियोजनाओं व आपसी हितों के दूसरे मुद्दों पर चर्चा की गई।

इस दौरान सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें एक जमीनी सीमा पार करने, बागान में भूकंप से क्षतिग्रस्त पैगोडा के संरक्षण के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू), संयुक्त संघर्षविराम निगरानी समिति की सहायता, म्यांमार के विदेश सेवा अधिकारियों को प्रशिक्षण, मोन्यवा में एक औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र (आईटीसी) की स्थापना और थाटो में आईटीसी व आईटीसी मिग्यान के रखरखाव ठेके के विस्तार के लिए पत्रों का आदान-प्रदान किया गया।

मंत्रालय के बयान के अनुसार, दोनों देशों के बीच जमीनी सीमा पार करने का समझौता द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे दोनों देशों के लोग पासपोर्ट व वीजा के साथ जमीनी सीमा पार करने में समर्थ होंगे। इसमें स्वास्थ्य व शिक्षा सेवाएं, तीर्थयात्रा व पर्यटन भी शामिल होंगे।

इसमें कहा गया, “बगान में पगोडा की बहाली के लिए एमओयू दोनों देशों के बीच स्थायी सांस्कृतिक व ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित करता है।”

इसमें कहा गया, “तकनीकी सहयोग व क्षमता निर्माण का दूसरा एमओयू म्यांमार के अपने विकास योजना व प्राथमिकताओं के अनुसार भारत के लगातार समर्थन को दिखाता है।”

भारत म्यांमार का एक महत्वपूर्ण विकास सहायता साझेदार है और म्यांमार में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है।

इसमें म्यांमार में सिट्वी बंदरगाह से मिजोरम को जोड़ने वाली एक परिवहन परियोजना, म्यांमार और भारत व थाईलैंड को जोड़ने वाले एक त्रिपक्षीय राजमार्ग संपर्क और रि-टिडिम मार्ग शामिल हैं।

बयान के अनुसार, सुषमा स्वराज ने रखाइन राज्य में रोहिंग्या शरणार्थी संकट से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए म्यांमार सरकार की मदद की प्रतिबद्धता व भारत की तत्परता को दोहराया।

उन्होंने म्यामांर सरकार के रखाइन परामर्श आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन की वचनबद्धता को जारी रखने के लिए म्यांमार सरकार का स्वागत किया।

सुषमा स्वराज ने कहा कि द्विपक्षीय रखाइन राज्य विकास कार्यक्रम के तहत भारत पहले ही कई परियोजनाओं का क्रियान्वयन के चरण में है, जो रखाइन राज्य के आबादी के विभिन्न तबकों के अनुकूल होगा।

इसमें कहा गया, “इससे पहले प्रमुख परियोजना में विस्थापित लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए रखाइन राज्य में प्रिफेब्ररिकेटेड घरों का निर्माण शामिल है।”

इसमें कहा गया, “मंत्री ने रखाइन राज्य में विस्थापित लोगों के सुरक्षित, त्वरित वापसी की जरूरत को रेखांकित किया।”

सुषमा स्वराज का दौरा भारत और म्यांमार के बीच चल रही उच्चस्तरीय बातचीत का हिस्सा है। इनपुट आईएएनएस

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान ने IMF के आगे फिर फैलाए हाथ, की नए लोन की डिमांड

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने आईएमएफ के सामने एक बार फिर भीख का कटोरा आगे कर दिया है। पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ ने आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा से मुलाकात कर उनसे नए ऋण कार्यक्रम पर चर्चा की है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा कि पीएम शहबाज की मुलाकात रियाद में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मौके पर हुई।

रियाद में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक बैठक से इतर शरीफ ने तीन अरब अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त व्यवस्था (एसबीए) हासिल करने में पाकिस्तान को समर्थन देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक जॉर्जीवा का शुक्रिया अदा किया। पाकिस्तान ने पिछले साल जून में तीन अरब अमेरिकी डॉलर का आईएमएफ कार्यक्रम हासिल किया था। पाकिस्तान मौजूदा एसबीए के इस महीने समाप्त होने के बाद एक नई दीर्घकालिक विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) की मांग कर रहा है।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के नुसार, “दोनों पक्षों ने पाकिस्तान के लिए एक अन्य आईएमएफ कार्यक्रम पर भी चर्चा की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पिछले वर्ष से हासिल लाभ समेकित हो और आर्थिक वृद्धि सकारात्मक बनी रही।’’ शरीफ ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने कहा कि इस्लामाबाद जुलाई की शुरुआत तक नए कार्यक्रम पर कर्मचारी स्तर का समझौता हासिल कर सकता है। यदि पाकिस्तान को यह मदद मिल गई तो उसको आईएमएफ की ओर से यह 24वीं सहायता होगी।

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