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खेल-कूद

राष्ट्रमंडल खेल (कुश्ती) : पदक की आस में 19 माह की बेटी को खुद से दूर किया

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गोल्ड कोस्ट (आस्ट्रेलिया), 3 अप्रैल (आईएएनएस)| आस्ट्रेलिया के लिए चार अप्रैल से शुरू हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों में पदक की आस रखने वाली भारतीय मूल की आस्ट्रेलियाई पहलवान रुपिंदर कौर ने अपने जीवन का सबसे मुश्किल फैसला लेते हुए अपनी 19 माह की बेटी साहेब को खुद से दूर कर दिया है। रुपिंदर ने अपनी बेटी को अपनी मां के साथ वापस भारत भेज दिया, ताकि वह राष्ट्रमंडल खेलों में अपने देश आस्ट्रेलिया के लिए पदक जीतने का अपना सपना पूरा कर सकें।

साल 2014 में ग्लास्गो में आयोजित हुए राष्ट्रमंडल खेलों में एक गलती के कारण रुपिंदर अपना सपना पूरा नहीं कर पाईं। 48 किलोग्राम वर्ग में रुपिंदर को लड़ना था, लेकिन उनका वजन 200 ग्राम अधिक था और इस कारण उन्हें 53 किलेग्राम वर्ग में हिस्सा लेना पड़ा।

रुपिंदर ने अपने पूरे जीवन में केवल कुश्ती के बारे में ही सोचा। 12 साल की उम्र से ही वह इस खेल से जुड़ गईं, जब वह भारत के एक छोटे से गांव तरण तारन में इस खेल का अभ्यास करती थीं।

अपने बचपन के सपने को पूरा करने के लिए रुपिंदर ने 19 माह की बेटी साहेब को अपने से दूर भेजा और इस फैसले से हर रोज उनकी आंखें नम हो जाती हैं। अपनी बेटी का चेहरा देखकर अभ्यास करने वाली रुपिंदर अब जब अपने कमरे में लौटती हैं, तो उन्हें केवल खिलौने ही मिलते हैं।

रुपिंदर ने कहा, कुश्ती का यह मैट मेरा घर है। यह एक प्रकार से मेरा जीवन है। मैं कुश्ती के बगैर मर जाऊंगी। मैं सोते समय इसके सपने देखती हूं। जब मैं गर्भवती थी, तब भी इसी खेल के बारे में सोचती थी। मैं इतनी आसानी से इसे नहीं छोड़ने वाली।

पिछले साल मई में राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप में रुपिंदर ने 48 किलोवर्ग में स्वर्ण पदक जीता था। मां बनने के बाद मैट पर वापसी के साथ ही यह उनकी सबसे बड़ी जीत थी। रुपिंदर ने बेटी को जन्म देने के छह माह बाद ही अभ्यास शुरू कर दिया था।

अपनी बेटी साहेब को याद करते हुए रुपिंदर ने कहा, मेरी बेटी केवल 19 माह की है और मैं नहीं बता सकती कि उससे दूर जाने का फैसला लेना मेरे लिए कितना मुश्किल था। मैं उससे कितना याद कर रही हूं। मुझे नहीं पता कि उसके बगैर मैं यह समय कैसे काटूंगी।

अपने सपने को पूरा करने के लिए भले ही रुपिंदर को अपनी बेटी से अलग होना पड़ा हो, लेकिन वह अपने खेल के प्रति पूरी तरह से ईमानदार हैं। उन्होंने कहा, मैट पर जाने के बाद जो होगा वह कुश्ती के लिए होगा। मैं अपनी बेटी के लिए यह कर रही हूं और मुझे प्रेरित होने की जरूरत है। कुश्ती के लिए मैंने इतना बड़ा बलिदान दिया है और इसीलिए, मुझे कुछ बड़ा हासिल करना होगा।

रुपिंदर ने 2004 में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण पदक जीता था। कुछ समय बाद वह आस्ट्रेलिया आ गईं थी और 2012 में उन्हें आस्ट्रेलिया की नागरिकता मिल गई। वह अब गोल्ड कोस्ट में आस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व करती नजर आएंगी।

आस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व करने में रुपिंदर को जरा भी परेशानी नहीं है। उनका कहना है कि उनके लिए गर्व की बात है, क्योंकि आस्ट्रेलिया उनके लिए विश्व का सर्वश्रेष्ठ देश है।

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खेल-कूद

NADA ने रेसलर बजरंग पुनिया को अनिश्चित काल के लिए किया निलंबित, ये है वजह

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने पहलवान बजरंग पुनिया को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया। इस कार्रवाई से बजरंग के पेरिस ओलंपिक में खेलने के सपने पर संकट के बादल छाए हैं। जानकारी के अनुसार बजरंग पुनिया 10 मार्च को सोनीपत में हुए चयन ट्रायल के लिए अपना सैंपल देने में विफल रहे, जिसके बाद नाडा ने उन्हें भविष्य के किसी भी कार्यक्रम में भाग लेने से निलंबित करने का आदेश जारी किया।

भाजपा के पूर्व सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वालों में पुनिया, ओलंपियन साक्षी मलिक और विनेश सहित अन्य शीर्ष पहलवानों की कतार में सबसे आगे थे। निलंबन के बाद टोक्यो ओलंपिक में देश को कांस्य पदक दिलाने वाले पुनिया को इस महीने के अंत में होने वाले चयन ट्रायल में भाग लेने से रोक दिए जाने की संभावना है। 65 किग्रा वर्ग में अभी तक किसी भी भारतीय ने ओलंपिक कोटा नहीं जीता है।

निलंबन पत्र वर्ल्ड यूनाइटेड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) द्वारा मान्यता प्राप्त भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) की भंग हो चुकी तदर्थ समिति को भेजा गया था। वहीं, बजरंग ने कुछ महीने पहले एक वीडियो जारी कर डोप कलेक्शन किट के एक्पायर होने का आरोप लगाया था। उन्होंने डोप नियंत्रण अधिकारी के निर्देश की अवहेलना की और दावा किया कि नाडा अधिकारियों ने अभी तक उनकी चिंताओं का समाधान नहीं किया है।

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