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आरोपों से आहत हूं : योगेंद्र यादव
नई दिल्ली | आम आदमी पार्टी (आप) के नेता योगेंद्र यादव ने सोमवार को कहा कि वह उन खबरों से दुखी हैं, जिनमें कहा गया है कि वह और प्रशांत भूषण पार्टी में चल रही गतिविधियों से नाखुश हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बड़ी जीत पाने के बाद यह देशहित में काम करने और लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने का समय है। योगेंद्र यादव ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, “पिछले दो दिन से प्रशांत जी और मेरे बारे में चल रही खबरें सुन रहा हूं, पढ़ रहा हूं। नई-नई कहानियां गढ़ी जा रही हैं, आरोप मढ़े जा रहे हैं, षड्यंत्र खोजे जा रहे हैं। ये सब पढ़ के हंसी भी आती है और दुख भी होता है। हंसी इसलिए आती है कि कहानियां इतनी मनगढ़ंत और बेतुकी हैं।”
उन्होंने कहा, “लगता है कि कहानी गढ़ने वालों के पास टाइम कम होगा और कल्पना ज्यादा। लेकिन इन आरोपों और कहानियों की नीयत को देखकर दुख होता है। दिल्ली की जनता ने हमें इतनी बड़ी जीत दी है। आज का ये व़क्त बड़ी जीत के बाद, बड़े मन से, बड़े काम करने का है। देश ने हमसे बड़ी उम्मीदें लगाई हैं। मैं यही अपील कर सकता हूं कि हम अपनी छोटी हरकतों से अपने आप को और इस आशा को छोटी न होने दें। बस सद्बुद्धि की प्रार्थना कर सकता हूं। इससे पहले उन्होंने सोमवार को ट्विटर पर भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा था कि आम आदमी पार्टी को लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा और उनके विश्वास को बनाए रखना होगा। योगेंद्र ने ट्वीट किया, “मैं मीडिया में पिछले दो दिनों से मेरे व प्रशांतजी के बारे में जो कुछ कहा जा रहा है, उससे दुखी हूं। दिल्ली ने आप को इतना विशाल जनादेश दिया है। मैं अपील करूंगा कि हमें आप में लोगों के विश्वास को कम नहीं होने देना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “यह देश के लिए काम करने का समय है। देश को हमसे (आप) बहुत उम्मीदें हैं।” वरिष्ठ आप नेता प्रशांत भूषण ने पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल के कुछ फैसलों को लेकर पार्टी के काम करने के तरीकों पर नाराजगी जताते हुए पार्टी को एक पत्र लिखा है। जाहिर तौर पर, पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों को लिखे इस पत्र में भूषण ने दिल्ली चुनाव के दौरान प्रचार अभियान ‘व्यक्ति केंद्रित’ होने व पेशेवर सिद्धांतों का पालन न किए जाने को लेकर सवाल उठाए हैं।
नेशनल
कैंसर से जूझ रहे सीपीआई नेता अतुल कुमार अंजान का निधन, लखनऊ के अस्पताल में ली अंतिम सांस
लखनऊ। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान का शुक्रवार को निधन हो गया। वो लखनऊ के मेयो अस्पताल में भर्ती थे जहां उनका काफी समय से कैंसर का इलाज चल रहा था। उनकी हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी। शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।
बता दें कि अतुल अंजान ने अपना राजनीतिक सफर 1977 में शुरू किया था। वह सबसे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे। वह सबसे प्रतिभाशील और सक्रिय कम्युनिस्ट नेताओं में से एक थे।
वह टीवी डिबेट में और कई दूसरे राजनीतिक कार्यक्रमों में लगातार पार्टी का प्रतिनिधित्व करते थे। अपनी राजनीति का लोहा इन्होंने कॉलेज के दिनों से ही मनवा लिया था। छात्र राजनीति में इनके कद का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अतुल कुमार अंजान 20 साल की उम्र में नेशनल कॉलेज स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष बन गए थे। अतुल कुमार लगातार चार बार लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. यूनिवर्सिटी के समय से ही वह लेफ्ट की विचारधारा पर चलते थे।
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