अन्तर्राष्ट्रीय
दक्षेस देशों के दौरे के तहत विदेश सचिव जयशंकर पहुंचे
थिम्पू| भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर चार दक्षेस देशों के अपने दौरे के प्रथम पड़ाव के रूप में रविवार को भूटान की राजधानी थिम्पू पहुंचे। जयशंकर भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक और प्रधानमंत्री त्शेरिंग टोबगे से मुलाकात करेंगे।
जयशंकर सोमवार को बांग्लादेश, मंगलवार को पाकिस्तान और उसके बाद बुधवार को अफगानिस्तान जाएंगे। दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के देशों का यह दौरा पड़ोसियों के साथ संबंधों पर जोर देने की भारत सरकार की नीति का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष मई माह में पदभार संभालने के बाद अपने पहले विदेश दौरे के लिए भूटान को चुना था। मोदी ने उस दौरान 600 मेगावाट के खोलोंगचुक जलविद्युत परियोजना की आधारशिला रखी थी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी पिछले वर्ष नवंबर में भूटान का दौरा किया था और उस दौरान उन्होंने कहा था कि भारत थिम्पू के साथ अपने संबंधों को सर्वोच्च महत्व देता है। उन्होंने भूटान को एक घनिष्ठ मित्र और पड़ोसी बताया था। मुखर्जी का दौरा किसी भारतीय राष्ट्रपति द्वारा 26 वर्षो में किया गया भूटान का पहला द्विपक्षीय दौरा था।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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