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बीजेपी सांसद का विवादित बयान, सेना के जवान हैं तो जान जाएगी ही
नई दिल्ली। देश के जवानों की शहादत पर उत्तर प्रदेश के रामपुर से भाजपा सांसद नेपाल सिंह ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जवान है तो जान तो जाएगी ही। कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में जवानों की शहादत पर सवाल पूछा गया तो नेपाल सिंह ने कहा, ‘ये तो रोज मरेंगे आर्मी में। कोई ऐसा देश है जहां आर्मी का आदमी ना मरता हो झगड़े में? गांव में भी झगड़ा होता है तो एक ना एक तो घायल होगा ही।’
बता दें कि रविवार को सीआरपीएफ के ट्रेनिंग सेंटर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में 5 जवान शहीद हो गए थे। हालांकि, सिक्युरिटी फोर्सेस ने सभी 3 आतंकियों को मार गिराया था।
हालांकि अपने बयान पर विवाद बढ़ता देख नेपाल सिंह ने खेद जताते हुए माफी भी मांग ली। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि मैंने सेना के अपमान की बात नहीं की, मुझे दुख हैं लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा फिर भी माफी मांगता हूं। उन्होंने यह भी कहा, ‘मैंने यह बोला था कि वैज्ञानिक लगे हुए और कोई डिवाइस ढूंढ रहे हैं कि कोई गोली आए तो लगे नहीं। सिपाही की प्रोटेक्शन हो जाए।’
रविवार को ही गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जवानों की शहादत पर बयान देते हुए कहा था कि हमारे जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। राजनाथ आईटीबीपी के मातली शिविर में जवानों के साथ नया साल मनाने पहुंचे थे। राजनाथ ने नए साल की सुबह पुलवामा में आतंकियों और सेना के बीच हुई मुठभेड़ पर कड़ी नाराजगी जताते हुए सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले को कायराना हरकत बताया था।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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